Bombay Hc’s Decision Regarding Muslim Marriage, Says Men Can Register More Than One Marriage – Amar Ujala Hindi News Live – Maharashtra:मुस्लिम विवाह को लेकर बॉम्बे Hc का अहम फैसला, कहा

बॉम्बे हाईकोर्ट
– फोटो : एएनआई
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बंबई उच्च न्यायालय ने मुस्लिम विवाह को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा है कि मुस्लिम पुरुष एक से अधिक विवाह पंजीकृत करा सकते हैं, क्योंकि उनके ‘पर्सनल लॉ’ में बहुविवाह की अनुमति हैं। उच्च न्यायालय का यह आदेश उस याचिका पर आया है, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति और उसकी तीसरी पत्नी अपने विवाह को पंजीकृत करने का प्राधिकारियों को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था।
न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरेशन की खंडपीठ ने 15 अक्टूबर को ठाणे नगर निगम के उप विवाह पंजीकरण कार्यालय को पिछले साल फरवरी में एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा दायर उस आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। बता दें कि, मुंबई के रहने वाले एक शख्स ने अल्जीरिया की एक महिला के साथ तीसरी शादी की थी। जिसके पंजीकरण के लिए वह निगम ऑफिस पहुंचा था।
मुस्लिम दंपति ने अपनी याचिका में संबंधिक अधिकारियों को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कोर्ट में दावा किया था कि उनका आवेदन इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि यह पुरुष याचिकाकर्ता की तीसरी शादी है।
नगर निगम ने विवाह पंजीकरण से कर दिया था इनकार
वहीं नगर निगम के अधिकारियों ने इस आधार पर विवाह का पंजीकरण करने से मना कर दिया था कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत विवाह की परिभाषा में केवल एक ही विवाह को शामिल किया गया है, एक से अधिक विवाह को नहीं।
कोर्ट ने निगम के फैसला को बताया गलता
इस याचिका पर सुनावई करते हुए उच्च न्यायालय की पीठ ने प्राधिकरण के तर्क के गलत करार देते हुए कहा कि, यह फैसला पूरी तरह से गलत धारणा पर आधारित है। अधिनियम में उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो किसी मुस्लिम व्यक्ति को तीसरी शादी पंजीकृत कराने से रोकता हो।
अदालत ने कहा, मुसलमानों के पर्सनल लॉ के तहत उन्हें एक समय में चार विवाह करने का अधिकार है। हम प्राधिकारियों की इस दलील को स्वीकार नहीं कर पा रहे कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन और विवाह पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत केवल एक विवाह पंजीकृत किया जा सकता है, यहां तक कि मुस्लिम पुरुष के मामले में भी।
पीठ ने कहा कि यदि वह प्राधिकारियों की दलील को स्वीकार कर भी ले तो इसका अर्थ यह होगा कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम, मुसलमानों के पर्सनल लॉ को नकारता है और/या उन्हें विस्थापित कर देता है। इस अधिनियम में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह संकेत मिले कि मुसलमानों के पर्सनल लॉ को इससे बाहर रखा गया है।
प्राधिकरण ने यह भी दावा किया था कि याचिकाकर्ता दंपति ने कुछ दस्तावेज जमा नहीं किए थे। इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर सभी प्रासंगिक दस्तावेज जमा कराने का निर्देश दिया। अदालत ने आदेश दिया कि एक बार ये दस्तावेज जमा हो जाने के बाद ठाणे नगर निकाय के संबंधित प्राधिकारी याचिकाकर्ताओं की व्यक्तिगत सुनवाई करेंगे और 10 दिन के भीतर विवाह पंजीकरण को मंजूरी देने या इससे इनकार करने का तर्कपूर्ण आदेश पारित करेंगे। पीठ ने निर्देश दिया कि तब तक महिला याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए।

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