
एबीवीपी उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह और एनएसयूआई संयुक्त सचिव पद के प्रत्याशी लोकेश चौधरी।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
डूसू चुनाव के लिए सभी संगठनों के उम्मीदवारों के मैदान में उतरते ही जोर शोर से प्रचार शुरू हो चुका है। संगठनों के उम्मीदवार कॉलेजों में जाकर छात्रों को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस दौरान वह उनके बीच उनसे जुड़ी तमाम समस्याओं का समाधान कराने का वादा कर रहे है। साथ ही उनको विभिन्न सुविधाएं मुहैया कराने का भी दावा करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
वह छात्रों के मध्य जाने के दौरान जैसे दावे व वादे कर रहे हैं, वैसे ही मीडिया के साथ बातचीत करते हुए भी पीछे नहीं हट रहें। अमर उजाला टीम के साथ विशेष बातचीत में डूसू के प्रमुख छात्र संगठन एबीवीपी के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार भानू प्रताप सिंह और एनएसयूआई के संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवार लोकेश चौधरी ने छात्रों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उनकी सभी समस्याओं का समाधान कराने का वादा किया।
अमर उजाला के प्रश्न
– चुनाव में क्या प्राथमिकता है?
– आप वादे के बावजूद डीयू के सभी छात्रों के लिए स्पेशल बस नहीं चलवा पाए?
– रूम रेंट एक्ट बनवाने में क्यों सफल नहीं हो रहें?
– महिला सुरक्षा पर क्या-क्या कदम उठाएंगे?
– खेलों को बढ़ावा देेने के लिए आपकी क्या योजना है?
– आपको अपने संगठन से संबंधित पार्टी से कितनी मदद मिल रही है?
– चुनाव में अपने संगठन की गुटबाजी व नेताओं की नाराजगी का कितना सामना करना पड़ रहा है?
भानू प्रताप सिंह, एबीवीपी के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार का जवाब
– एबीवीपी कॉलेज कैंपस में 360 दिन रहती है। एक छात्र किस तरह की समस्या से जूझता है, वह समस्या का समाधान भी करते हैं।
– एबीवीपी की करनी और कथनी में फर्क नहीं है। जो वादे करते हैं, उन्हें पूरा करते हैं। नॉर्थ कैंपस से लेकर साउथ कैंपस में यू स्पेशल बस रही हैं। इसका विस्तार किया जाएगा।
– इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार का घेराव किया था। रूम रेंट एक्ट होना चाहिए। हालांकि, हिंदू कॉलेज में एक हजार के करीब छात्रों के लिए होस्टल बनकर तैयार है। वह छात्रों की हित की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
– हमारे घोषणा पत्र में महिला सुरक्षा का मुद्दा सबसे अहम है। हमने महिला सुरक्षा को देखते हुए पीसीआर तैनाती करवाई है। महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर कार्य करेंगे।
– खेलो भारत के माध्यम से छात्रों की मदद की है। कई कॉलेजों में खेल के उपकरण नहीं थे, लेकिन एबीवीपी ने मुहिम चलाकर कई कॉलेजों में खेल उपकरण को उपलब्ध कराएं है।
– भाजपा और हमारी विचारधारा एक ही है, लेकिन एबीवीपी भाजपा का पार्ट नहीं है। केंद्र सरकार के खिलाफ भी कई बार प्रदर्शन किए हैं। हमें भाजपा की मदद नहीं चाहिए।
– गुटबाजी नहीं है। कोई ग्रुप नहीं है। सब लड़ रहे हैं।
लोकेश चौधरी, एनएसयूआई के संयुक्त सचिव के उम्मीदवार
– चुनाव में डूसू और आम छात्र के बीच का अंतर खत्म करना है। आम छात्र डूसू में जाकर अपनी बात सरलता से रख सकें। ऐसा माहौल तैयार करना है।
– यू स्पेशल बस का मुद्दा सबसे पहले एनएसयूआई ने उठाया था। इसके लिए एनएसयूआई ने लंबी लड़ाई लड़ी है। जबकि इस दिशा में एबीवीपी नेे अपना वादा पूरा नहीं किया। उसके कार्यकाल में यू स्पेशल बसें बंद हुई हैं।
– रूम रेंट एक्ट के विषय पर समस्या से ज्यादा समाधान जरूरी है। ज्यादा रेंट देने में बहुत ज्यादा परेशानी होती है, आम छात्रों को दिल्ली और केंद्र के बीच का मामला बताकर गुमराह किया जाता है, लेकिन अभी तक छात्र हॉस्टल बनाने के लिए काम नहीं किया गया है।
– महिला सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। मगर डीयू में महिला सुरक्षा लचर है और स्नेचिंग से जुड़े केस सबसे ज्यादा होते हैं।
– खिलाड़ियों की समस्या एक अहम मुद्दा है। मुझसे ज्यादा और कौन समझ सकता है। पीजीडीएवी में दाखिला स्पोर्ट्स कोटे से हुआ था, लेकिन कॉलेज में खेल को लेकर बड़ी समस्याएं होती थी, कभी सफाई की समस्या, कभी कोच की समस्या, कभी सामान टूटा होने की समस्या रहती थी। हम लोग इस पर काम करेंगे।
– यह लड़ाई राजनीतिक नहीं है, बल्कि यह आम छात्रों की है। एनएसयूआई छात्रों की आवाज उठाने का संगठन है
– टिकट को लेकर कोई गुटबाजी नहीं है, एनएसयूआई में मेहनत करने वालों को सबकी सहमति से टिकट दी जाती है।

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