Chanakya Niti Without fire a person burns from within due to these things चाणक्य नीति: बिना आग के इन बातों से ही व्यक्ति अंदर ही अंदर जलता है, आप भी जानें, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को एक महान रणनीतिज्ञ व कूटनीतिज्ञ माना गया है। चाणक्य को एक बड़े दूरदर्शी विद्वान माने गए हैं। कहा जाता है कि चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया है। चाणक्य की नीतियां व्यक्ति को जीवन की राह दिखाती हैं। एक नीति में चाणक्य ने बताया है कि किन बातों से व्यक्ति बिना अग्नि हर समय जलता रहता है। आप भी जानें चाणक्य नीति-
श्लोक- कान्तावियोग: स्वजनापमान: ऋणस्य शेष: कुनृपस्य सेवा।
दरिद्रभावो विषमा सभा च विनाग्निनैते प्रदहन्ति कायम्।।
नीति शास्त्र में वर्णित इस श्लोक का अर्थ है कि पत्नी का बिछुड़ना, अपने बंधु-बांधवों से अपमानित होना, कर्ज चढ़ा रहना, दुष्ट या बुरे मालिक की सेवा में रहना, निर्धन बने रहना, दुष्ट लोगों और स्वार्थियों की सभा या समाज में रहना, ये सब ऐसी बातें हैं, जो बिना अग्नि के शरीर को हर समय जलाती रहती हैं।
चाणक्य कहते हैं कि सज्जन लोग अपनी पत्नी के वियोग को सहन नहीं कर सकते हैं। अगर उनके भाई-बंधु उनका अपमान या निरादर करते हैं तो वह उसे भी नहीं भुला सकते। जो व्यक्ति कर्जे में दबा है, उसे हर समय कर्ज न उतार पाने का दुख रहता है। दुष्ट राजा या मालिक की सेवा में रहने वाला नौकर भी हर समय दुखी रहता है। निर्धनता तो ऐसा अभिशाप है, जिसे व्यक्ति सोते और उठते-बैठते नहीं भुला पाता है। उसे अपनों और समाज में बार-बार अपमानित होना पड़ता है।
चाणक्य कहते हैं कि अपमान का कष्ट मृत्यु के समान है। ये सब बातें ऐसी हैं जिनसे बिना आग के ही व्यक्ति अंदर ही अंदर जलता रहता है। चाणक्य का मानना है कि ये बातें जीते-जी चिता का अनुभव करने की स्थिति हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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