Chhatarpur There Will Be No Traffic Signals In City Now Vehicles Will Run Without Signals At Intersections – Amar Ujala Hindi News Live

छतरपुर शहर
– फोटो : अमर उजाला
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जिला मुख्यालय छतरपुर में यातायात के बढ़ते दबाव के मद्देनजर सुरक्षित आवागमन के लिए करीब 10 साल पहले आकाशवाणी तिराहा, छत्रसाल चौक और पन्ना नाका पर लगाए गए ट्रैफिक सिग्नल अब नहीं रहेंगे। जिस कंपनी ने बगैर कोई रकम लिए लाखों के ये सिग्नल निःशुल्क लगाए थे, वह इन्हें जिला प्रशासन के असहयोग के चलते निकालने जा रही है।
छतरपुर रेंज के तत्कालीन डीआईजी केसी जैन ने एक नवंबर 2014 को अपने पत्र क्रमांक उमनि/छतर/साशा/बी/2027/14 द्वारा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को शहर में चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल, बस स्टॉप, ट्रैफिक पुलिस बूथ इत्यादि की व्यवस्था के संबंध में राघव एडवर टाइजिंग रायपुर के प्रतिनिधि से चर्चा कर सहयोग लेने को कहा था। ताकि इन प्रयासों से यातायात व्यवस्था में सुधार हो और दुर्घटनाओं से बचा जा सके। राघव एडवर टाइजिंग रायपुर के प्रतिनिधि मनोज शर्मा से चर्चा के बाद एसपी ने ट्रैफिक सिग्नल और बस स्टॉप लगाने को अपनी स्वीकृति दे दी थी। एसपी की मंजूरी के बाद नगर पालिका छतरपुर के सीएमओ ने 24 दिसंबर 2014 को अपने पत्र क्रमांक 4028/राशा/नपाछ/2014 द्वारा छतरपुर शहर के प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक सिंग्नल, साइन वोर्ड बूथ लगाने बावत अनापत्ति प्रमाण-पत्र दे दिया था।
पत्र में सीएमओ ने छतरपुर शहर में सुगम एवं व्यवस्थित यातायात संचालन हेतु नगर के फब्बारा चौक, आकाशवाणी तिराहा, छत्रसाल चौक, पन्ना नाका, बिजावर नाका, जोगिन्द पेट्रोल पंप एवं महोबा रोड इत्यादि जगहों पर ट्रैफिक सिग्नल, साइन बोर्ड, ट्रैफिक पुलिस बूथ लगाने के लिए दी। एनओसी में कहा था कि शहर में सुगम एवं व्यवस्थित यातायात संचालन हेतु यातायात प्रभारी के निर्देशन में ट्रैफिक सिग्नल, साइन बोर्ड एवं ट्रैफिक पुलिस बूथ राघव एडवर टाइजिंग रायपुर द्वारा अपने स्वयं के व्यय तथा जोखिम पर लगाये जाते हैं तो इस निकाय को कोई आपत्ति नहीं है। पुलिस अधीक्षक की मंजूरी और सीएमओ की एनओसी के बाद कंपनी ने ट्रैफिक सिग्नल तथा बस स्टॉप विभिन्न जगह अपनी राशि से लगवा दिए थे। इतना ही नहीं इनका मेंटिनेंस भी कंपनी अपने खर्चे से खुद करती आ रही थी। कंपनी का खर्च सिग्नल के ऊपर लगे साइन बोर्ड से निकल रहा था।
क्या कहते हैं कंपनी के डायरेक्टर
राघव एडवर टाइजिंग रायपुर के डायरेक्टर रितेश अग्रवाल ने बताया कि ट्रैफिक सिग्नल के ऊपर लगे साइन बोर्ड पर लगे हमारे विज्ञापनों को हटवा कर शासकीय योजनाओं के विज्ञापन लगवा दिए गए। विज्ञापनदाताओं ने इसकी शिकायत की, तब उन्होंने छतरपुर आकर नगर पालिका सीएमओ से इस बारे में चर्चा की। सीएमओ ने इसे कलेक्टर के आदेश पर की गई कार्रवाई बताया। तब अग्रवाल ने कलेक्टर संदीप जीआर से मुलाकात कर उन्हें पूरी जानकारी दी। लेकिन कलेक्टर ने ट्रैफिक सिग्नल के ऊपर लगे साइन बोर्ड पर कंपनी को विज्ञापन लगाने की सहमति नहीं दी। इसलिए उन्होंने 15 मई को नगर पालिका सीएमओ और यातायात पुलिस के प्रभारी को एक सूचना पत्र देकर नगर पालिका क्षेत्र में लगे ट्रैफिक सिग्नल को निकालने की जानकारी दे दी है।
20 लाख में लगा था एक सिग्नल
अग्रवाल ने बताया कि 2014 में एक ट्रैफिक सिग्नल लगाने पर करीब 20 लाख रुपये का खर्च आया था। उन्होंने शहर में छत्रसाल चौक, पन्ना नाका और आकाशवाणी तिराहे पर तीन ट्रैफिक सिग्नल लगाकर शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने में सहयोग किया था। शुरू से हम ही इन सिग्नलों का मेंटीनेंस भी करते आ रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस और नगर पालिका ने उन्हें एक रुपया भी नहीं दिया। हमारा खर्च सिग्नल के ऊपर लगे साइन बोर्ड से निकल रहा था। लेकिन जब कलेक्टर ने साइन बोर्ड से हमारे विज्ञापन ही हटवा दिए तो हम लाखों की लागत से लगे अपने ट्रैफिक सिग्नल भी निकालने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों में उन्होंने ट्रैफिक सिग्नल निशुल्क लगवाए हैं, जो उन शहरों की यातायात व्यवस्था को सुचारू बना रहे हैं। छतरपुर के ट्रैफिक सिग्नल उन्हें मजबूरी में निकालना पड़ रहे हैं।

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