Chittorgarh: Notice To The Head Of The Institution After News Of Frog Being Found In Nutrition Comes In Media – Amar Ujala Hindi News Live

राजस्थान
– फोटो : अमर उजाला
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जिले के गिलुंड स्कूल के पोषाहार में मृत मेंढक मिलने का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अपनी जिम्मेदारियों पर पर्दा डालने के लिए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी प्रयास करते दिख रहे हैं। गौरतलब है कि मृत मेंढक की जानकारी मिलते ही संस्थाप्रधान ने समझदारी दिखाते आसपास के स्कूलों में सूचना देकर पोषाहार का वितरण रुकवा दिया था। जल्द ही सूचना मिलने से बच्चों में खराब पोषाहार का वितरण होने से रुक गया। इसके बदले संस्था प्रधान को पुरस्कार मिलना चाहिए था लेकिन ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने विभाग की कमियों को ढंकने के लिए उल्टा संस्था प्रधान को ही दोषी ठहरा दिया। उन्होंने संस्था प्रधान को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है कि मीडिया में इसकी सूचना कैसे पहुंची।
जानकारी में सामने आया है कि गुरुवार को पोषाहार के वितरण में स्कूलों में खिचड़ी भेजी गई थी। गिलुंड स्कूल में स्टाफ ने खिचड़ी में मृत मेंढक देखा और न केवल अपने स्कूल में खिचड़ी का वितरण रुकवाया, साथ ही नजदीक के पांच स्कूलों में भी वितरण रुकवा दिया। इसके बाद स्कूल विकास समिति के सदस्य भी स्कूल आ गए। स्कूल में वितरित किया जाने वाला पोषाहार अक्षय पात्र फाउंडेशन से बनकर आता है। इसी के चलते अक्षय पात्र फाउंडेशन के स्टाफ को बुलाकर भी इसकी जानकारी देकर पोषाहार पुनः भेज दिया गया था।
गौरतलब है कि इस संबंध में समाचार का प्रकाशन होने के बाद जिला कलेक्टर ने तत्काल जांच के निर्देश दिए। साथ ही भविष्य में इस तरह की पुनरावृति नहीं हो, इसकी हिदायत भी दी। घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन भी किया गया था, जिसकी रिपोर्ट में तत्काल मेंढक गिरना सामने नहीं आया था। रास्ते में परिवहन के दौरान मेंढक गिरने की बात रिपोर्ट में मानी थी।
जानकार सूत्रों ने बताया कि इस पूरे बड़े प्रकरण में शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी पर कोई एक्शन नहीं लिया गया लेकिन ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने एक नोटिस संस्था प्रधान को दिया है। इसमें इस बात का उल्लेख है कि यह बालकों के स्वास्थ्य को लेकर एक लाभकारी महत्वपूर्ण फ्लेगशिप योजना है। इस प्रकार की स्थिति में एक संस्था में घटित किसी घटना का समाचार किस प्रकार सोशल मीडिया पर प्रकाशित हो गया। संस्था प्रधान पर मीडिया में समाचार प्रकाशित होने के बाद उच्च अधिकारियों को मामले से अवगत कराने का आरोप लगा जवाब मांगा।
मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी का इस प्रकार संस्था प्रधान को नोटिस जारी करना कहीं ना कहीं मीडिया पर पाबंदी से जोड़कर देखा जा रहा है। जबकि मीडिया में समाचार आने के बाद ही उच्च अधिकारी हरकत में आए। जिला शिक्षा अधिकारी अपनी रिपोर्ट लेकर जिला कलेक्टर के पास पहुंचे और इसके तत्काल बाद जिला कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए थे।

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