Chittorgarh: Presentation Of Silver Palanquin And Chariot At Shri Sanwariyaji Temple On Dhanteras – Amar Ujala Hindi News Live

चांदी की पालकी और रथ की भेंट।
– फोटो : अमर उजाला
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पूरे देश में दीपावली के त्योहार का आगाज मंगलवार को धनतेरस के अवसर पर हुआ है। सभी जगह दीपोत्सव की तैयारियां चल रही हैं। इन सभी के बीच चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित प्रख्यात कृष्ण धाम श्री सांवरियाजी मंदिर में दो श्रद्धालुओं ने भगवान सांवलिया सेठ के लिए चांदी से बनी पालकी एवं रजत रथ भेंट किया है। आगामी दिनों में एकादशी पर निकलने वाली यात्रा में भगवान को इसी रजत एवं पालकी में विराजमान करवाया जाएगा। लकड़ी पर यह रजत रथ एवं पालकी तैयार करवाई गई है, जो काफी आकर्षक दिखाई दे रही है।
जानकारी में सामने आया कि जिले के प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवरियाजी मंदिर में श्रद्धालु अपने मनोकामनाएं पूरी होने पर तरह-तरह की भेंट चढ़ाते हैं। अब तक श्रद्धालु कई एंटीक वस्तुएं भेंट कर चुके हैं। नकदी के अलावा सोने और चांदी के आभूषण एवं वस्तुएं भेंट में आती हैं। वहीं अब दो श्रद्धालुओं ने भगवान सांवलिया सेठ को चांदी की भेंट की है। एक श्रद्धालु की ओर से रजत रथ को दूसरे श्रद्धालु की ओर से रजत की पालकी भेंट की गई है। यहां धनतेरस के अवसर पर मंगलवार को रजत रथ व पालकी को मंदिर कार्यालय लाया गया।
यहां मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी नन्द किशोर टेलर, मंदिर बोर्ड सदस्य संजय मंडोवरा, पूर्व बोर्ड सदस्य भैरूलाल सोनी की मौजूदगी में रजत एवं पालकी भेंट की गई। बताया गया है कि देव उठनी एकादशी को भगवान सांवलिया सेठ का बेवान निकलता है। इसमें भगवान के बाल विग्रह को बेवान में स्थापित कर नगर भ्रमण करवाया जाता है। अब तक लकड़ी के रथ में ही नगर भ्रमण करवाया जा रहा था। अब आगामी दिनों में भगवान के बाल विग्रह को रजत रथ एवं रजत पालकी में विराजमान करवा कर नगर भ्रमण करवाया जाएगा।
बताया गया है कि यह दोनों ही श्रद्धालु गुजरात के हैं तथा उनकी ओर से यह गुप्त दान भगवान सांवलिया सेठ को किया गया है। धनतेरस के दिन राजभोग आरती से पहले रथ और पालकी को मंदिर लाया गया, जिन्हें देख सभी ने सराहना की।
23 किलो चांदी से तैयार हुई पालकी और रथ
श्री सांवलियाजी मंदिर को दो श्रद्धालुओं की और से भेंट पालकी और रजत रथ में करीब 23 किलो चांदी का उपयोग हुआ है। इन्हें पाली के सुमेरपुर में तैयार करवाया गया। 23 किलो चांदी के अलावा लकड़ी का वजन मिला कर करीब 400 किलो वजनी रथ एवं पालकी है।

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