
समर्थकों को संबोधित करते नरेश ढांडा।
– फोटो : संवाद
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कांग्रेस की ओर से टिकट न दिए जाने से खफा नरेश ढांडे ने नामांकन वापस नहीं लिया है। अब नरेश ढांडे ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दी है। उनका कहना है कि समर्थकों के आह्वान पर उन्होंने यह फैसला लिया।
कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद नरेश ढांडे ने 12 सितंबर को बिना किसी शोरशराबे के आजाद प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया था। साथ ही एलान किया था कि यदि उनके समर्थक चाहेंगे तो वे चुनाव लड़ेंगे, अन्यथा अपना नामांकन वापस ले लेंगे। यहीं फैसला लेने के लिए नरेश ढांडे ने सोमवार को अनाज मंडी में अपने समर्थकों की बैठक बुलाई। वहां पहुंचे लोगों ने जब नरेश के चुनाव लड़ने या ना लड़ने के बारे में पूछा गया तो हर एक समर्थक ने उन्हें हर हाल में चुनाव लड़ने को प्रेरित किया।
अपने समर्थकों के आह्वान पर नरेश ढांडे ने भी चुनाव मैदान में उतरने का एलान कर दिया। सभा को संबोधित करते हुए ढांडे ने कहा कि उनके पिता स्व. अमर सिंह ने हमेशा साफ सुथरी राजनीति की थी। कहा कि वे अपने पिता की विरासत को उसी ईमानदारी से आगे बढ़ाएंगे और अपने समर्थकों का मान सम्मान किसी भी प्रकार से कम नहीं होने देंगे।
मस्तगढ़ के पूर्व सरपंच मालक सिंह ने कहा कि नरेश ढांडे एक सामाजिक और इमानदार व्यक्ति है। ढांडे ने हलके की टूटी हुई सडक़ों को बनवाने के लिए दिसंबर जनवरी की कडक़ड़ाती सर्दी में महीने तक भूख हड़ताल की थी। जितेंद्र शर्मा पीडल ने कहा कि टिकट देने या ना देने से कोई नेता नहीं बन जाता। नेता पार्टियां नहीं बल्कि जनता बनाती है।
जितेंद्र शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने नरेश ढांडे को टिकट ना देकर खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। शर्मा ने कहा कि अब नरेश ढांडे हलका गुहला की जनता का सांझा उम्मीदवार है और उनका चुनाव हलके की जनता लड़ेगी और उन्हें चुनाव जितवा विधानसभा में भेजेगी। सभा को हलके के कई प्रमुख लोगों ने भी संबोधित करते हुए नरेश ढांडे के चुनाव लडऩे के फैसले का समर्थन किया।

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