
मंडियो में आई धान
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
पंजाब में लाखों टन धान की खरीद पर संकट आ गया है। राज्य में सरकारी खरीद एक अक्तूबर से शुरू हो रही है, लेकिन आढ़तियों और शेलर मालिकों ने धान उठाने से साफ इन्कार कर दिया है। उन्होंने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
आढ़तियों की मांग है कि सरकार उन्हें पूर्व निर्धारित 2.5 प्रतिशत कमीशन देने पर सहमति दे, वरना उनकी हड़ताल लंबी चलेगी। उन्होंने 1 अक्तूबर से मंडियां बंद रखने की घोषणा कर दी है। इससे किसान भी दुविधा में हैं। दूसरी तरफ शेलर मालिकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने अभी तक केंद्रीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदाम खाली नहीं किए हैं। यदि किसानों का धान मंडियों में आता है, तो मिलिंग के बाद गोदाम में चावल रखने की जगह नहीं मिलेगी, इसलिए उन्होंने भी धान का उठान नहीं करने का निर्णय लिया है।
पंजाब की फेडरेशन ऑफ आढ़ती एसोसिएशन के नेता अमनदीप सिंह छीना का कहना है कि कमीशन के नए तरीके से हमारा मार्जिन काफी कम हो गया है। पहले कुल खरीद पर 2.5 प्रतिशत कमीशन दी जाती थी, लेकिन अब प्रति क्विंटल 45 रुपये तय किए गए हैं। कमीशन का पुराना सिस्टम ही बहाल किया जाए। सरकार आढ़तियों की मांगों को लेकर कोई सार्थक पहल नहीं कर रही।
सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मांगों पर हुई चर्चा का कोई भी सार्थक परिणाम नहीं आया है। वहीं, संगरूर के एक शेलर मालिक आशीष जैन ने कहा कि हमारे पास गोदाम में चावल रखने की जगह ही नहीं है। यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि पुराना स्टॉक उठाया जाए। केंद्र प्राइवेट गोदामों में व्यवस्था करे। हम किसान भाइयों के साथ हड़ताल पर बैठेंगे।
मंडियों में नहीं हैं पूरे इंतजाम
सरकार के साथ बातचीत में कोई समाधान न निकलने के कारण मंडियों में भी इंतजाम पूरे नहीं हैं। आवश्यक साफ-सफाई, बिजली, पानी आदि के प्रबंध अधूरे हैं। इसके चलते किसानों, आढ़तियों और मजदूरों को मुश्किलें आएंगी, लेकिन प्रशासन इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा।
कृषि मंत्री बोले- धान आने के साथ-साथ ही होगी लिफ्टिंग
कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि उन्होंने रविवार को आढ़तियों के साथ बैठक की थी। बैठक में उन्होंने आश्वासन दिया है कि धान की मंडियों में धान आने के साथ-साथ ही लिफ्टिंग की जाएगी। बैठक अच्छे माहौल में हुई है। किसी भी बात पर एक मिनट पर सहमति नहीं बनती, उसमें समय लगता है। मंडियों में पूरे प्रबंध किए जा रहे हैं।
आढ़तियों के साथ ही किसानों की मांगों का भी ध्यान रखा जाएगा। एफसीआई की तरफ से लिफ्टिंग के लिए जगह बनाने का काम किया जा रहा है। बासमती धान के स्टॉक के लिफ्टिंग की मंजूरी दे दी गई है। दिसंबर तक 40 लाख मीट्रिक टन के लिए जगह बनाने का दावा किया गया है। इससे साफ है कि किसानों व आढ़तियों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
अभी तक 10 फीसदी फसल ही पहुंची
अभी तक राज्य की धान मंडियों में सिर्फ दस प्रतिशत फसल ही पहुंची है। एक अक्तूबर से इसमें तेजी आएगी। सरकार परमल व अन्य किस्मों के धान की ही खरीद करती है, जबकि बासमती की सरकारी तौर पर एमएसपी पर खरीद नहीं होती है। प्राइवेट एजेंसियां ही बासमती की खरीद करती हैं। छीना ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने 30 सितंबर तक मांगें स्वीकार नहीं की तो मंडियों की तालाबंदी कर दी जाएगी। मौजूदा हालात के चलते बासमती धान के दाम में उछाल आने की संभावना है। हमने अपनी सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि कमीशन कर पुराना सिस्टम बहाल किया जाए।
खरीद सिर पर, अभी सड़कों के टेंडर लगा रही सरकार
एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी खन्ना में तैयारियां शुरू हो गई हैं। मार्केट कमेटी के सचिव मनजिंदर सिंह मान ने बताया कि फड़ की सफाई, किसानों के लिए पीने का साफ पानी, बरसात से बचने के लिए तिरपाल व रात के समय बिजली के उचित प्रबंध किए जा रहे हैं। मंडी की सड़कों की हालत पर उन्होंने कहा कि इसका भी टेंडर लगा दिया गया है, जल्द ही निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि, यह समझ से परे है कि खरीद सिर पर है, तो अभी तक टेंडर क्यों नहीं लगाए गए।
उन्होंने किसानों से अपील की है कि वह अपनी फसल को अच्छे से सुखाकर ही मंडी में लाएं, ताकि उन्हें ज्यादा दिन मंडी में न बैठना पड़े। कुछ ही दिनों बाद दीपावली व गुरुपर्व भी है, इसलिए हम चाहते हैं कि वह दोनों त्योहार किसान अपने घर पर ही मनाएं। उन्होंने कहा कि मंडी से एक-एक दाना खरीदा जाएगा। सरकार के आदेश हैं कि 24 घंटे में फसल की खरीद कर 48 घंटे में फसल का भुगतान और 72 घंटे में फसल की लिफ्टिंग यकीनी बनाई जाए। इस पर पूरा अमल होगा। आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान हरवंश सिंह रोशा ने कहा कि 17 प्रतिशत से ज्यादा नमी वाला धान किसी भी कीमत उठाया नहीं जाएगा।

Comments are closed.