Darbhanga Flood Victims Forced To Live In Open Sky On Dam Know From Victims Amidst Administrative Claims – Amar Ujala Hindi News Live

बाढ़ पीड़ित
– फोटो : अमर उजाला
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दरभंगा जिले के किरतपुर कुशेश्वरस्थान सहित छह प्रखंड के लगभग दो लाख लोग कोसी नदी और कमला बलान नदी के बांध टूटने से आई बाढ़ के कारण परेशान बने हुए हैं। प्रशासनिक दावों के हिसाब से काफी राहत कार्य चलाए जा रहे हैं। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत थोड़ा हटके है।
बता दें कि बाढ़ का पानी आए इन इलाकों में पांच दिन हो गए हैं। अभी काफी संख्या में लोग खुले आसमान में रहने को विवश हैं। कइयों का तो इस बाढ़ के कारण उनके घर तक बह जाने की बात कर रहे हैं। बाढ़ पीड़ित महिला वीणा देवी ने बताया, राहत शिविरों में जो सामुदायिक किचेन चलाकर खाना खिलाया जा रहा है, उसमें बड़े बूढ़े लोग तो खा ले रहे हैं। जबकि छोटे-छोटे बच्चों को खिलाने- पिलाने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। पशुपालकों ने बताया कि मवेशियों को खिलाए जाने वाला चारा नहीं मिल पा रहा, जिस कारण मवेशियों सही ढंग से दूध नहीं दे पा रहे हैं।
हालांकि, दरभंगा के डीएम राजीव रोशन ने कहा है कि करीब पांच हजार फूड पैकेट एयरड्रॉप एवं अन्य सोर्स से बाढ़ पीड़ितों के बीच वितरण किया जा चुका है। बाढ़ पीड़ितों के बीच लगातार पॉलिथीन वितरण किया जा रहा है। इस बाढ़ के दौरान एक व्यक्ति की कुशेश्वरस्थान में कमला बलान नदी में डूबने से मौत हो गई है। शव को पोस्टमॉर्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया है। जबकि प्रतिदिन फूड पैकेट बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है। बाढ़ पीड़ितों के लिए पीएचईडी विभाग के द्वारा लगभग चालीस चापाकल नगर निगम द्वारा नौ पानी के टैंकरों को लगाया है। जबकि शौचालय का भी निर्माण कराया गया है। उन्होंने कहा है किरतपुर के भूभौल गांव कोसी नदी के कटे तटबंध को बनाने का काम तेजी से चल रहा है। उम्मीद है शीघ्र इस तटबंध का मरम्मत कर लिया जाएगा।
किरतपुर में बांध पर शरण ले रही रवीना खातून ने बताया कि उनके छह बच्चे हैं, जिनको खाने लिए कोई व्यवस्था नहीं है। वहीं, एक पशुपालक बाबू साहब साहू ने बताया कि पूरा इलाका बाढ़ के पानी से डूबा हुआ है। पशुओं को खिलाने के चारा नहीं मिल रहा है। काफी दूर जाने के बाद भी थोड़ा सा चारा मिलता है, उससे पशुओं का पेट नहीं भर पाता, जिस कारण पशु सही तरीके से दूध नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इस संकट की घड़ी में सरकार उनकी मदद करे।
बांध पर शरण ले रही झगरुआ निवासी समीरती देवी ने बताया कि 28 सितंबर की रात एक बजे कोसी नदी का बांध टूट गया, जिसके बाद वे अपनी जान बचाकर किसी तरीके भागकर बांध पर आ गई थी। उनके पास पहने हुए कपड़े को छोड़कर कुछ भी नहीं है। मेरे घर में छाती से ऊपर पानी आ गया था। मैंने अपने बच्चे को कंधे पर बैठाकर बांध पर भागकर आई थी। कोई भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि अब तक हम लोगों का हालचाल पूछने तक नहीं आया है। हम लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन कोई नहीं पूछने आया है।

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