उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि दलितों के मंदिर में प्रवेश के बाद गंगाजल से छींटे मारने वालों के खिलाफ वे पहले भी थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे। भले ही इसका मुझे राजनीतिक या सामाजिक नुकसान हो, मैं ऐसे लोगों के खिलाफ आवाज उठाता रहूंगा। टीकाराम जूली मामले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को मंदिर में बुलाया जाता है और फिर भाजपा के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा मंदिर में गंगाजल छिड़कते हैं। इसका वीडियो वायरल किया जा रहा है। यह कैसी सनातनी सोच है? असल में हम सनातनी हैं, क्योंकि हम मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, धर्म को जीते हैं।
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शिक्षा व्यवस्था पर भी उठाए सवाल
विधायक बैरवा ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दौसा जिले में हालात बेहद खराब हैं। कहीं 12वीं तक की कक्षा में सिर्फ 5 शिक्षक हैं, कहीं 8वीं तक के स्कूल में एक ही शिक्षक है। स्कूल हैं पर शिक्षक नहीं। सरकार का काम मंदिरों में राजनीति नहीं, बल्कि स्कूलों और अस्पतालों में सुधार करना होना चाहिए। अंत में उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “मैं तो सरकार को धन्यवाद देता हूं कि वो हमारे किसी काम में टांग नहीं अड़ा रही है। आने वाले समय में जनता इसका जवाब देगी और 4 साल बाद हमारी ही सरकार बनेगी। डीसी बैरवा के इस बयान के बाद राजस्थान की सियासत में फिर से हलचल मच गई है।
