
दीपेश कुमार
– फोटो : परिजन
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फ्रांस की राजधानी पेरिस में 28 अगस्त से आठ सितंबर तक चलने पैरालंपिक खेलों में गांव नगला विशी निवासी 19 वर्षीय दिव्यांग खिलाड़ी दीपेश कुमार अपने भाले से कमाल दिखाएंगे। 25 अगस्त रात में वह देश के अन्य खिलाड़ियों के साथ पेरिस पहुंच गए हैं।
गांव में रह रहे उनके चाचा विशाल ने बताया कि पेरिस पहुंचने के बाद दीपेश ने फोन पर बताया कि वह पेरिस से मेडल लेकर ही लौटेंगे। उन्होंने आगे बताया कि भाला फेंक में उनसे आगे अमेरिका का एक दिव्यांग है, लेकिन उन्हें पूरा विश्वास है कि वह उससे अधिक दूरी पर भाला फेंकेंगे। पिता भानु प्रकाश ने बताया कि दीपेश का बचपन से ही खेलों से लगाव था। वह जब भी खेतों की ओर जाते थे तो उनके हाथ में लाठी होती थी, जिसे वह भाले की तरह फेंकते थे।
पिता ने बताया कि दीपेश शरारती भी थे। जब वह 14 वर्ष के थे तो खेतों से भैंसा बुग्गी लेकर आ रहे थे। अचानक बुग्गी पलट गई और वह उसके नीचे दब गए। उनकी कमर में काफी चोट लगी थी। उन्होंने बेटे का काफी इलाज कराया, लेकिन कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। दुर्घटना के बावजूद दीपेश ने हिम्मत नहीं हारी। तीन साल पहले उन्होंने पैरालंपिक खेलों के लिए दिल्ली की साई अकादमी में प्रवेश लिया और पहले ही वर्ष बंगलुरू में हुए पैरा खेलों में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद उड़ीसा के साथ देश के अन्य प्रदेशों में हुए दिव्यांग खेलों में उन्होंने भाला फेंकने में पदक प्राप्त किए हैं। अब वह तीन साल से साईं अकादमी में ही भाला फेंकने का अभ्यास कर रहे हैं।

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