Dehradun News Grant Scheme Cng Bus Did Not Run, Only File Is Running For Seven Months – Amar Ujala Hindi News Live

– फोटो : freepik.com(प्रतीकात्मक)
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डीजल वाहनों को चलन से बाहर कर शहर में सीएनजी बसों का संचालन कराने के लिए लाई गई अनुदान योजना देहरादून में एक कदम भी नहीं चल सकी है। पिछले सात महीनों के दौरान दून में डीजल वाहन हटाकर एक भी सीएनजी सिटी बस नहीं चलाई गई। हालांकि योजना की फाइल जरूर शासन से लेकर आरटीओ कार्यालय तक चलती रही। योजना में खामियों के कारण डीजल वाहन स्वामी अनुदान योजना से दूर होते गए। संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में अफसरों ने सार्वजनिक वाहन स्वामियों से अनुदान योजना का लाभ लेने का आह्वान किया, इसके बाद भी विक्रम-सिटी बस संचालकों ने कोई उत्साह नहीं दिखाया।
गौरतलब हो कि स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत डीजल सार्वजनिक वाहनों को हटाकर उनके स्थान पर सीएनजी वाहन खरीदने के लिए अनुदान योजना को सबसे पहले देहरादून में लागू किया गया। इसके तहत यूरो 6-सीएनजी-इलेक्टि्रक या स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन संचालित वाहन-बस खरीदे जाने थे। मार्च 2024 में लागू हुई योजना में अब तक किसी भी विक्रम-सिटी बस संचालक ने आवेदन नहीं किया है। अब परिवहन विभाग भी वजह जानने में जुट गया है कि आखिर अनुदान योजना को लेकर डीजल वाहन संचालकों में आकर्षण क्यों नहीं हैं। यह पता चला है कि योजना में अनुदान स्कीम तो लागू कर दी गई, लेकिन कई व्यावहारिक पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया, इस कारण योजना से वाहन स्वामियों ने दूरी बनाई हुई है।
सिटी बस संचालक चाहते, इलेक्टि्रक बस की तरह प्रति किमी. पर मिले सब्सिडी
अनुदान योजना के तहत सिटी बस या विक्रम के परमिट को सरेंडर करने और वाहन स्क्रैप कराने का प्रमाण पत्र देने पर 25 से 32 सीट की नई सीएनजी या स्वच्छ ईंधन बस खरीदने के लिए वाहन लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 15 लाख रुपये अनुदान देने की योजना लागू की गई। वाहन को स्क्रैप किए बिना परमिट सरेंडर करने पर वाहन लागत का 40 प्रतिशत या अधिकतम 12 लाख रुपये अनुदान दिया जा रहा है। सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल बताते हैं कि अभी सिटी बस संचालकों को बैंक की कोई किश्त नहीं चुकानी है, जबकि नई बस 26 लाख की आ रही है, 13 लाख की सब्सिडी मिल रही है। शेष रकम पर 30 हजार की किश्त पहले महीने से शुरू हो जाएगी। बस से होने वाली कमाई से किश्त देने के बाद परिवार चला पाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए सिटी बस संचालकों ने यह मांग की थी कि अनुदान योजना में एकमुश्त अनुदान के बजाए प्रति किमी. पर न्यूनतम 20 रुपये की सब्सिडी उन लोगों को मिले, ताकि उन्हें बस का संचालन करने में मदद मिल सके। यह प्रावधान अनुदान स्कीम में नहीं किया गया, इसलिए सिटी बस संचालक येाजना के प्रति आकर्षित नहीं हो रहे हैं।

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