Diwali: Historic Diwali Of Holkar Kings, The City Used To Glow With The Light Of Oil Lamps – Amar Ujala Hindi News Live

इंदौर में होलकरों की दिवाली अलग ही छटा बिखेरती थी
– फोटो : फाइल फोटो
विस्तार
दीपावली पर्व हिंदुओं का सबसे मुख्य पर्व है। तेरस से आरंभ होकर भाई दूज तक पांच दिन दीपोत्सव की धूम रहती है। इंदौर के ऐतिहासिक राजबाड़े में दीपावली का भव्य उत्सव मनाया जाता था। होलकर महाराजाओं की दीपावली पर्व में खास रुचि रहती थी। होलकर राज्य की राजधानी इंदौर में भव्य सजावट की जाती थी, इसे देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों के नागरिक आते थे। नगर में बिजली का आगमन 1907 में हुआ था, पर राज्य के हाउस होल्ड विभाग द्वारा लैंपों के माध्यम से जगमग रोशनी की जाती थी।
तेल डालने व मोमबत्तियां बदलने का स्टाफ था
1919 के बाद से राजबाड़े पर बिजली के बल्बों से सजावट आरंभ हो गई थी। पांच दिनी दीप पर्व में होने वाली रोशनी के लिए प्रतिदिन सायंकाल में पांच घंटे यह साज-सज्जा होती थी। इस कार्य को करने के लिए और लैंपों में तेल डालते ही, मोमबत्तियां बदलने आदि के लिए करीब 200 व्यक्ति नियुक्त किए जाते थे।
मल्हारी मार्तंड और कोषालय का होता था पूजन
होलकर राजा पूरे शाही लवाजमे के साथ आते थे और वर्तमान राजबाड़े के मुख्य द्वार पर सेना द्वारा सलामी दी जाती थी। मल्हारी मार्तंड कुल देवता का पूजन कर राज्य के मुख्य कोषालय में पूजन किया किया जाता था। महाराजा नगर में खासतौर से सराफा, कपड़ा बाजार में होने वाली रोशनी को देखने निकलते थे। दीपावली मिलन समारोह भी दरबार हॉल में भव्यता के साथ मनाया जाता था।
राजपुरोहित कवठेकर कराते थे पूजन
दीपावली का पूजन कोषालय में होने से राज्य के मुख्य स्वर्ण, हीरे, माणिक, मोती पन्नों से जड़ित आभूषण थालों में सजाए जाते थे। दीपावली पूजन राजपुरोहित कवठेकर साहब के निर्देशन में होता था। पूजन की सूचना घुड़सवार सैनिकों द्वारा किला मैदान में की जाती थी और पांच तोपों की सलामी दी जाती थी। राजबाड़े के द्वार पर सवा मन गोबर से गोवर्धन प्रतिमा बनाई जाती थी। गोवर्धन पूजा भव्य रूप से की जाती थी।
रानी सराय में लगता था मीना बाजार
महाराजा तुकोजीराव होलकर तृतीय ने 1919 में वर्तमान रानी सराय अब रीगल तिराहा स्थित पुलिस कमिश्नर ऑफिस के पास के मैदान पर मीना बाजार का आयोजन आरंभ करवाया था, ताकि दीपावली की खरीदी की जा सके। महाराजा स्वयं इस मीना बाजार में खरीदी करने जाते थे। देश के प्रसिद्ध व्यवसायी इस मीना बाजार में अपनी दुकानें लगाते थे। इस तरह नगर में व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि हो इसके लिए आज से 100 वर्ष से अधिक पहले प्रयास किए गए थे। मीना बाजार लंबे समय तक नहीं चल पाया।
स्नेहलता राजे जली थी पटाखे से
1925 में राजकुमारी स्नेहलता राजे का दीपावली के पटाखे फोड़ने के दौरान जलने से निधन होने के बाद महाराजा तुकोजीराव तृतीय ने यह मीना बाजार बंद करवा दिया था। इसके चंद वर्षों बाद देश आजाद हो गया और होलकर राज्य भी देश की अन्य तमाम रियासतों के साथ भारतीय संघ में शामिल हो गया।

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