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एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में पांच साल तक सेवा देने के बांड का उल्लंघन करने पर 25 लाख रुपये जुर्माने की शर्त को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि कोर्स पूरा करने के बाद उसे डेढ़ साल बाद नौकरी प्रदान की गई। जिसके कारण उसके करियर में अपने साथियों से डेढ़ साल पीछे हो गया है। हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
भोपाल निवासी डॉ. अंश पंड्या की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि एमबीबीएस कोर्स करने के डेढ़ साल बाद सितम्बर 2024 में उसे डॉक्टर के रूप में ग्रामीण क्षेत्र नियुक्ति प्रदान की गई है। एमबीबीएस में दाखिले के समय एक बांड भरवाया गया था, जिसके कारण कोर्स पूरा करने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में पांच साल सेवा देना अनिवार्य है। बांड की शर्तों का पालन नहीं करने पर 25 लाख रुपये जुर्माना देना होगा। याचिका में कहा गया था कि उसे डेढ़ साल विलम्ब से नियुक्ति प्रदान की गई है। जिसके कारण वह अपने अन्य साथियों से पीछे हो गया है। उसके करियर के डेढ़ साल बर्बाद हो गए हैं।
बांड की शर्त का उल्लंघन करने पर 25 लाख रुपये के अत्यधिक जुर्माने का मुद्दा संसद में भी उठा था। इसके बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि जुर्माने की राशि के संबंध में समीक्षा करें। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य सांघी ने तर्क दिया कि मध्य प्रदेश एक गरीब राज्य है और 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाना संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार संचालक व आयुक्त मेडिकल एजुकेशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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