शिकायतकर्ता राजेश रजक अपने अधिवक्ता गजेंद्र चौबे के साथ कलेक्टर के पास पहुंचे। अधिवक्ता ने कलेक्टर सुधीर कोचर को बताया कि दमोह में मुंडा जाति के लोग नहीं रहते हैं, फिर भी ओबीसी वर्ग के लोगों ने फर्जी तरीके से मुंडा जाति के प्रमाण पत्र बनवाकर आदिवासी कोटे से सरकारी नौकरियां हासिल की हैं। शिकायत में तीन लोगों के नाम सामने आए हैं । जिनमें जबलपुर जिले की पाटन की सीएमओ जयश्री, जबलपुर ऑर्डनेंस फैक्ट्री में कार्यरत उनके भाई विक्रम सिंह और दमोह कलेक्ट्रेट के भू-अभिलेख शाखा में कंप्यूटर ऑपरेटर पद पर तैनात जयदीप।
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एक अन्य शिकायतकर्ता अरविंद मुड़ा ने बताया कि उनके चचेरे भाई-बहन आदिवासी कोटे से नौकरी कर रहे हैं। जब उन्होंने जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया तो उन्हें ओबीसी वर्ग में रखा गया। उन्होंने मांग की है कि उनके बच्चों को भी आदिवासी वर्ग का प्रमाण पत्र दिया जाए। शिकायतकर्ता ने कहा कि जब दमोह से ही उनके बड़े पापा के बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बने हैं तो फिर उनका जाति प्रमाण पत्र क्यों नहीं बन पा रहा? अधिकारी भी इस मामले में कोई जवाब नहीं दे पा रहे, इसलिए उन्होंने कलेक्टर के यहां शिकायत की है।
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कलेक्टर सुधीर कोचर ने बताया कि मामला गंभीर है, इसलिए दमोह एसडीएम कार्यालय को जांच के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि जाति प्रमाण पत्र यहीं से बने हैं। उन्होंने कहा कि दमोह में मुंडा जाति के लोग नहीं रहते। जाति प्रमाण पत्र किस आधार पर बनाए गए, इसकी जांच की जाएगी। गड़बड़ी पाए जाने पर नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

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