
गांव झांसा में मारकंडा नदी
– फोटो : संवाद
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पहाड़ी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से मारकंडा नदी एक बार फिर से उफान पर है, जिसके चलते मारकंडा नदी के तटबंधों के समीप बसे डेरा वासियों व किसानों में भय की स्थिति बनी हुई है। बुधवार सुबह सुबह मारकंडा नदी में करीब 11 हजार क्यूसेक पानी आने से नदी का पानी तटबंधों को छूकर गुजर रहा है।
किसान सौरव शर्मा, राजेश शर्मा आदि किसानों ने कहा कि नदी की समय रहते सफाई नहीं की गई है, जिसके चलते मारकंडा नदी के पानी को आगे जाने के लिए रास्ता नहीं मिलता। पानी की रफ्तार धीमी होने से पानी का स्तर बढ़ जाने से तटबंधों को छूने लगता है।
जिसके चलते कमजोर तटबंधों के टूटने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते विभाग द्वारा सफाई का काम पूरा किया होता तो पानी तटबंधों तक नहीं पहुंच पाता।
उन्होंने कहा कि विभाग ने पिछले वर्ष मारकंडा नदी द्वारा मचाए तांडव से कुछ सबक नहीं लिया और इस बार भी क्षेत्र के लोगों को राम भरोसे छोड़ दिया। पिछले वर्ष गांव नैसी के समीप से तटबंध टूटने से मारकंडा नदी की बाढ़ ने डेरा वासियों सहित सैकड़ों किसानों की हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गई थी। कई किसानों की फसल बर्बाद होने से उन्हें दोबारा से धान की रोपाई तक करनी पड़ी थी। इस बार भी मारकंडा नदी का पानी तटबंधों से छू कर चल रहा है।
लोगों को घबराने की जरूरत नहीं : एसडीओ
सिंचाई विभाग के एसडीओ राहिल सैनी से बात की तो उन्होंने कहा कि मारकंडा नदी में गांव झांसा के पास करीब 11000 क्यूसेक पानी बह रहा है। नदी के जलस्तर को देखते हुए कुछ पानी एसवाईएल नहर में छोड़ दिया गया है। जिससे आगे का जल स्तर कम हुआ है। जो खतरे से काफी कम है। उन्होंने कहा कि विभाग के कर्मचारी व अधिकारी निरंतर कमजोर तटबंधों के साथ अन्य तटबंधों पर भी नजर बनाए हुए है। किसानों व डेरा वासियों को घबराने की जरूरत नहीं है।

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