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हेडलाइंस

Highcourt Refuses To Interfere In Result Of Hcs Judicial Preliminary Examination – Amar Ujala Hindi News Live


Highcourt refuses to interfere in result of HCS Judicial preliminary examination

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) 2023-24 के लिए अप्रैल में घोषित प्रारंभिक परीक्षा परिणाम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए इस मामले में दखल से इन्कार कर दिया है। 

31 याचिकाओं के माध्यम से परीक्षा के परिणाम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि परीक्षा का परिणाम श्रेणी के अनुसार घोषित नहीं किया गया। साथ ही उत्तर कुंजी को लेकर भी याचिका में सवाल उठाए गए थे। याची पक्ष की दलील थी कि जिन दो प्रश्नों पर आपत्ति जताई गई थी विशेषज्ञों ने माना है कि उनके एक से अधिक सही उत्तर थे। ऐसे में इन प्रश्नों को हटाने के स्थान पर दोनों सही में किसी एक का चयन करने वालों को अंकों का लाभ दिया जाना चाहिए था। 

जस्टिस लीजा गिल और जस्टिस सुखविंदर कौर की खंडपीठ ने कहा कि प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम को इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता कि इसे श्रेणीवार घोषित नहीं किया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि आयोग के अनुसार उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग श्रेणीवार की गई है, भले ही घोषणा रोल नंबर के अनुसार की गई हो। याचिकाकर्ता किसी भी पूर्वाग्रह को साबित करने में असमर्थ है और न ही वे रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी रख पाए जिससे प्रतिवादियों द्वारा अपनाए गए रुख पर संदेह पैदा हो। ऐसे में श्रेणीवार अलग से परिणाम जारी करना जरूरी नहीं है। एक से अधिक सही उत्तर वाले दो प्रश्नों को हटाने के स्थान पर दोनों में से एक को चुनने वालों को अंकों का लाभ देने की मांग भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। 

हाईकोर्ट ने कहा कि परीक्षा की प्रक्रिया सभी उम्मीदवारों पर समान रूप से लागू की गई है। दो प्रश्नों को हटाने से किसी भी उम्मीदवार को किसी भी तरह से कोई पूर्वाग्रह या नुकसान नहीं होता है। सभी उम्मीदवारों को इन अंकों के लाभ से वंचित करने पर किसी भी उम्मीदवार को कोई श्रेय लाभ या हानि नहीं होगी। पीठ ने यह भी कहा कि विज्ञापन में कोई नियम या कोई शर्त नहीं है जो उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन या आपत्तियां प्रस्तुत करने की अनुमति देता हो। न्यायालय को केवल असाधारण परिस्थितियों में ही रिट अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना चाहिए। इस स्तर पर यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि विशेषज्ञ पैनल या चयन समिति के खिलाफ दुर्भावना का कोई आरोप नहीं लगाया गया है। याची ऐसी कोई असाधारण परिस्थिति नहीं बता पाए, जिसके लिए हमारे हस्तक्षेप की आवश्यकता हो। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाओं को खारिज कर दिया।

 



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