Himachal: 4,092 Kg Of Bio Waste Is Being Generated From Hospitals In A Day, Revealed In Annual Report – Amar Ujala Hindi News Live

बायो वेस्ट(सांकेतिक)
– फोटो : संवाद
विस्तार
प्रदेश के अस्पतालों से हर दिन 4,092 किलो बायोमेडिकल वेस्ट निकल रहा है। हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से हाल ही में जारी साल 2023 की बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन (जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन) पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार 2023 में राज्य के 9,756 स्वास्थ्य संस्थानों से प्रतिदिन लगभग 4092 किलो बायोमेडिकल वेस्ट निकला। 4,454 स्वास्थ्य संस्थानों में निपटान सुविधाएं उपलब्ध हैं। इनमें प्रतिदिन 123.04 किलोग्राम अपशिष्ट का उपचार और निपटान किया जाता है। साथ ही 4 सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधाएं भी संचालित हो रही हैं, जिनमें से कुल 3968.96 किलो अपशिष्ट का प्रतिदिन उपचार और निपटान किया जा रहा है। शिमला, सोलन, मंडी और सिरमौर जिलों से निकले अपशिष्ट का शिमला प्लांट में उपचार किया जा रहा है। चंबा, कांगड़ा और हमीरपुर के अपशिष्ट का उपचार कांगड़ा में किया जाता है।
बिलासपुर, कुल्लू, मंडी और लाहौल-स्पीति से निकलने अपशिष्ट को बिलासपुर में मौजूद सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार प्लांट में लेकर आया जा रहा है। ऊना में भी एक और सामान्य जैव चिकित्सा अपशिष्ट उपचार प्लांट मौजूद है। जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को विभिन्न रंग-कोड वाले बैगों में अलग-अलग किया जाता है और हर 40 घंटों में इन्हें सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार प्लांट में लेकर लाया जाता है। पीले बैग में संक्रमित बैंडेज, पट्टियां, शरीर के अंग, प्लास्टर, प्रयोगशाला की वस्तुएं, मानव ऊतक और शरीर के तरल पदार्थ रखे जाते हैं। लाल बैग में प्लास्टिक की वस्तुएं जैसे सीरिंज, आईवी सेट, कैथेटर, पाइप, और ट्यूब्स रखी जाती है। नीले बैग में कांच की वस्तुएं जैसे दवाओं की शीशियां, एंप्यूल्स, और कांच की बोतलें रखी जाती हैं। सफेद बैग में धातु की वस्तुएं और सुइयां, ब्लेड और कांच के टुकड़े। काले बैग में ऐसे अपशिष्ट जो संक्रमित नहीं होते, जैसे कागज, खाना, किचन वेस्ट आदि।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी तय अंतराल के बाद अस्पतालों और सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार प्लांट की जांच करते हैं, जिससे सही तरीके से बायो वेस्ट का उपचार किया जा सके। बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि 2016 बायो वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट का पालन हो। -मनोज चौहान, मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

Comments are closed.