Himachal Assembly Session: Opposition Members Created A Ruckus In The House And Entered The Well Shouting Slo – Amar Ujala Hindi News Live

नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर निकले विपक्षी सदस्य।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
भाजपा विधायक इंद्रदत्त लखनपाल की विधानसभा अध्यक्ष पर टिप्पणी से शुक्रवार को सदन गरमा गया। लखनपाल ने सदन में प्वाइंट ऑफ आर्डर के तहत विधानसभा अध्यक्ष पर उनके बयान को लेकर टिप्पणी की। अध्यक्ष ने विधायक को मामला उठाने की इजाजत नहीं दी। इससे नाराज विपक्ष के विधायकों ने पहले अपनी सीटों पर खड़े होकर नारेबाजी की और बाद में नारेबाजी करते हुए वेल में पहुंच गए। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पक्षों में जमकर नोकझोंक भी हुई। विधानसभा अध्यक्ष बोले, सदन में उन्होंने कोई बयान नहीं दिया। सदन के बाहर उनका अधिकार क्षेत्र अलग है। कानून की दृष्टि से सदन में जो निर्णय उन्होंने दिए हैं, अदालत ने भी वे निर्णय स्वीकार किए हैं इसलिए ऐसा कोई विषय सदन में उठाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। विपक्षी विधायकों ने बयान वापस लेने की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप पहुंचकर नारेबाजी की। गतिरोध बढ़ता देख अध्यक्ष ने 12:30 बजे सदन की कार्यवाही को दोपहर 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
सत्तापक्ष को संरक्षण दे रहे स्पीकर : जयराम
नेता प्रतिपक्ष के चेंबर में मीडिया को संबोधित करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि स्पीकर विपक्ष को डराकर रखना चाहते हैं। सत्तापक्ष को गैरजरूरी संरक्षण दे रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने जो बयान दिया था, लखनपाल ने उस पर आपत्ति जताई है। हम यह कहना चाहते थे कि आपने जो शब्द इस्तेमाल किए हैं उससे हम आहत हुए हैं। जयराम ने मोबाइल पर वह वीडियो भी चलाया जिसमें कुलदीप सिंह पठानिया छह विधायकों के सर कलम करने संबंधी बयान दे रहे हैं। कहा, स्पीकर को अपने शब्दों के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने यह शब्द विधानसभा के विधायकों के लिए इस्तेमाल किए हैं। पूछताछ के नाम पर भाजपा विधायकों को पुलिस जानबूझ कर मानसिक रूप से परेशान कर रही है। वेल में हमने अपनी बात रखी।
संविधान में दी शक्तियों के तहत कर रहा हूं काम : पठानिया
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सदन के भीतर जो होता वह सदन के रिकाॅर्ड में आ चुका है। सदन के अंदर जो हुआ वह नियमों और व्यवस्थाओं के अनुरूप ही हुआ है। अब किसी नियम का उल्लंघन हुआ है, नियम तोड़ा गया है उसका इलाज भी उसी में है। नियमों को लेकर प्रस्ताव भी सदन में लाया जा सकता है। मैं संविधान द्वारा दी गई अपनी पावर और नियमों के तहत ही काम कर रहा हूं, नेता प्रतिपक्ष को मुझे बताने की जरूरत नहीं है।
राजनीतिक भाषा शैली में प्रयोग होता है सर कलम करना : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सदन के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने छह पूर्व विधायक को लेकर सदन के अंदर कुछ नहीं बोला। जो उनके अधिकार क्षेत्र में था वह बोला। राजनीतिक युद्ध पृष्ठभूमि की भाषा अरबी में होती है उसमें कहते हैं कानून के दायरे में 6 के सर कलम कर दिए, इसमें कोई गलती नहीं है। जो अपना ईमान बेच सकते हैं उन पर कानून के आधार पर कार्रवाई होती है तो उसमें गलत क्या है। खरीद फरोख्त में जो लोग शामिल थे वह नारे लगा रहे हैं। वह भी उस अध्यक्ष के खिलाफ जिनकी जजमेंट को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहरा कर अन्य राज्यों के लिए नजीर बताया है। भाजपा के विधायक ही जयराम ठाकुर के साथ छल कर रहे हैं। जब जयराम सदन का बहिष्कार करते हैं तो कुछ विधायक सीटों पर ही बैठे रहते हैं।
थुनाग में बागवानी कॉलेज का निर्माण नहीं होने पर पर विपक्ष ने जताया विरोध
जिला मंडी के थुनाग में हाॅर्टिकल्चर कॉलेज के भवन निर्माण को लेकर नेता विपक्ष जयराम ठाकुर और बागवनी मंत्री जगत सिंह नेगी शुक्रवार को सदन में उलझ गए। नेता विपक्ष ने बजट का प्रावधान होने के बावजूद कॉलेज के भवन निर्माण को नहीं करने का आरोप लगाया। जवाब में मंत्री ने कहा कि सिराज में बने 28-28 कमराें के रेस्ट हाउस और हेलीपोर्ट में कॉलेज चलाने को लेकर विचार किया जाएगा। पूर्व सरकार के कंसलटेंट ने चयनित स्थान पर भवन बनना संभव नहीं होने की रिपोर्ट दी है। निर्माण के लिए 300 करोड़ रुपये के बजट की भी जरूरत है। जयराम सरकार ने 10 करोड़ की राशि का ही प्रावधान किया था। इसको लेकर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। बीच-बचाव करने उठे मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री नेगी ही इस बारे में फैसला लेंंगे। मुख्यमंत्री और मंत्री के जवाब से नाराज विपक्ष नारेबाजी कर सदन से बाहर चला गया।
हालांकि भाजपा विधायक अनिल शर्मा अंदर ही रहे। इस पर संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि यह विपक्ष का वॉकआउट नहीं है। एक विधायक अंदर ही बैठे हैं। प्रश्नकाल के दौरान नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार के समय थुनाग में हाॅर्टिकल्चर कॉलेज खोला गया था। 16.36 हेक्टेयर भूमि की वन स्वीकृति भी मिली हुई है। हाॅर्टिकल्चर के दो और फारेस्ट्री का एक बैच यहां से पासआउट भी हो चुका है। कक्षाओं को इधर-उधर लगाकर काम चलाया जा रहा है। पता चला है कि टेंडर को आवंटित करने से विभाग ने इंकार कर दिया है। कॉलेज को बंद या शिफ्ट करने की तैयारी में सरकार जुटी हुई है। सरकार इस मामले की गंभीरता को नहीं समझ रही।

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