Himachal:857 पंचायतों ने मनरेगा में नहीं खर्चा एक भी पैसा, ग्रामीण विकास मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा – 857 Panchayats Did Not Spend A Single Penny In Mnrega, Revealed In The Report Of Ministry Of Rural Development

मनरेगा
– फोटो : amar ujala
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चार साल में हिमाचल प्रदेश की 857 पंचायतों ने विकास कार्यों में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है। केंद्र से मनरेगा के तहत करोड़ों रुपये जारी होने के बाद भी इन पंचायतों में एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया है। केंद्र सरकार ने इस पर हैरानी जताई है। हिमाचल प्रदेश में 12 जिले और 88 विकास खंड हैं। इनमें 3619 पंचायतें हैं। प्रदेश में 14.81 लाख लोगों के जॉब कार्ड बने हैं। इसमें सक्रिय जॉब कार्डों की संख्या 9.19 लाख है।
मनरेगा के तहत लोगों को घर-द्वार पर रोजगार दिया जा रहा है। केंद्र ने यह भी चिंता जताई है कि एक अप्रैल, 2023 से लेकर अब तक इन ग्राम पंचायतों ने कोई कार्य नहीं किया है। पंचायत राज विभाग के निदेशक मिलिद रूगवेद ने बताया कि नगर निगम के चलते हिमाचल की कुछ पंचायतें शहरी क्षेत्रों में मिली हैं। इससे भी काम प्रभावित हुआ है। वर्ष 2022-23 में महज तीन पंचायतों ने पैसा खर्च नहीं किया है। ब्यूरो
बनते हैं सड़कें, पुल और पैदल मार्ग
मनरेगा के तहत हिमाचल में छोटी सड़कें, पुलों, पैदल चलने वाले मार्गों, सामुदायिक भवनों, वर्षाशालिकाओं आदि का निर्माण होता है। वहीं, शहरों के साथ जुड़ीं पंचायतों के लोग जॉब कार्ड बनाने में अपनी तौहीन समझते हैं। वहीं, शिमला, मंडी, कुल्लू, किन्नौर आदि में सेब होता है। इन जिलों के कई क्षेत्रों में संपन्न लोग रहते हैं। ये भी मनरेगा के काम में रुचि नहीं लेते हैं।
गांवों में बसती है 90 फीसदी आबादी
हिमाचल प्रदेश में 90 फीसदी आबादी गांव में बसती है। लोग शहरों की ओर पलायन न करें, ऐसे में सरकार की ओर से लोगों को घर पर ही रोजगार दिया जा रहा है। मनरेगा डिमांड बेस स्कीम है। लोगों को विकास कार्य करवाने के लिए डिमांड करनी पड़ेगी। उसके बाद ही विकास कार्यों के लिए राशि जारी की जाती है। इस योजना में पहले पैसा जारी नहीं किया जाता है।

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