Himalayan Forest Research Institute Has Prepared Five New Organic Pesticides – Amar Ujala Hindi News Live

एचएफआरआई शिमला में बनाए गए कीटनाशक, कवकनाशक और खाद
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विस्तार
हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एचएफआरआई) पंथाघाटी ने किसानों और पर्यावरण के लिए एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने पांच नए जैविक कीटनाशक, कवननाशक और जैविक खाद विकसित किए हैं।
ये पौधों की सुरक्षा भी करेंगे और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाएंगे। ये उत्पाद प्राकृतिक संसाधनों से बनाए गए हैं और पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं। पहला जैविक कीटनाशक हिम बायोकिल है, जिसे हिमाचल की मूल झाड़ी प्रजाति पीसूमार से तैयार किया है। यह पाउडर के रूप में आता है और पौधों पर छिड़कने में इस्तेमाल होता है, जिससे हानिकारक कीटों से पौधों की रक्षा होती है। यह उत्पाद प्राकृतिक तरीकों से विकसित किया है, जिससे किसानों को एक सुरक्षित विकल्प मिलता है। कीटनाशक हिम अल्बी वॉश भी पीसूमार से बनाया है, लेकिन इसे मेथनॉल यौगिक का उपयोग करके तैयार किया है। इस पाउडर को मिट्टी में मिलाया जाता है, जिससे पौधों की जड़ों को सुरक्षा मिलती है। उत्पाद एचएफआरआई, पंथाघाटी में 80 रुपये प्रति 200 ग्राम की कीमत पर उपलब्ध है।
संस्थान का तीसरा उत्पाद हिम त्रिचो कवच है, जो शिमला के आसपास पाए जाने वाले चीड़ के पत्तों से तैयार किया है। इस फंगीसाइड में प्राकृतिक रूप से मौजूद ट्राइकोडर्मा का उपयोग हुआ है, जो फंगस से पौधों को बचाता है। इसके साथ ही यह जंगल में गिरी चीड़ की पत्तियों को हटाने में भी मददगार है। इससे जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं से बचा जा सकेगा। इसके अलावा, संस्थान ने हिम ग्रोथ बूस्टर नामक जैविक खाद विकसित की है। इसे रोमारिया फ्यूमिरोसे फंगस और रागी का उपयोग करके बनाया है, जो शंकुधारी पौधों के विकास में फायदेमंद है।
एचएफआरआई ने एक और महत्वपूर्ण जैविक खाद हिम मृदा संजीवनी विकसित की है, जिसे माइकोराइजा के उपयोग से बनाया है। इसे भी पंथाघाटी से 100 रुपये में खरीदा जा सकता है। संस्थान के वैज्ञानिकों का मानना है कि ये उत्पाद कृषि को समृद्ध करेंगे और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेंगे।

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