Hockey Bronze Medalist Sanjay Said, We Correct Our Mistakes And Prepare From Now Only Then Colour Of Change – Amar Ujala Hindi News Live

अमर उजाला कार्यलय में पहुंचे हॉकी कांस्य पदक विजेता संजय
– फोटो : संवाद
विस्तार
पेरिस ओलंपिक में हॉकी में कांस्य पदक विजेता डाबड़ा निवासी संजय कालीरावणा ने शुक्रवार सुबह अमर उजाला कार्यालय में संवाद के दौरान हरियाणा में खेलों और खासकर हॉकी के भविष्य को लेकर अपने अनुभव साझा किए, साथ ही भविष्य की रणनीति के बारे में बताया। उन्होंने कहा, पेरिस ओलंपिक में हम गोल्ड जीतने का लक्ष्य लेकर उतरे थे।
सेमीफाइनल में गोल करने के मौके भी मिले, लेकिन काफी गलतियां हुईं। अब इन गलतियों को सुधार कर अभी से 2028 ओलंपिक की तैयारी शुरू कर देंगे। अगला लक्ष्य लॉस एंजिल्स ओलंपिक में कांस्य का रंग गोल्ड में बदलना है। उन्होंने कहा, खेलों में हरियाणा में पहले की तुलना में काफी सुविधाएं बढ़ी हैं। इनमें और इजाफा किया जाए तो हमारे खिलाड़ी पदकों की संख्या निश्चित तौर पर बढ़ाएंगे।
सवाल: हॉकी की शुरुआत कैसे हुई। आप किसे रोल मॉडल मानते हैं।
जवाब: जब मैंने हॉकी खेलना शुरू किया तब मेरी उम्र मात्र आठ साल थी। बड़े भाई विक्रम रोल मॉडल है। वह भी हॉकी खेलते थे। उनके साथ ग्राउंड पर जाता तो उन्हें खेलते देख काफी अच्छा लगता था। उनको देखकर ही मैंने हॉकी में करियर बनाने की ठान ली। फिर कोच राजेंद्र सिहाग ने मुझे हॉकी खरीदकर दी और उनके निर्देशन में आगे बढ़ता गया।
सवाल: ओलंपिक पदक पाने तक आपका सफर कैसा रहा।
जवाब: मुझे यहां तक पहुंचाने में कोच राजेंद्र सिहाग का अहम रोल रहा है। कभी भी खेल के सामान को लेकर उन्होंने परेशानी नहीं आने दी। हर संभव मदद करते थे। जब मैं गांव डाबड़ा से चंडीगढ़ एकेडमी में ट्रायल देने गया तो कोच मेरे साथ गए थे। आज मेरे साथ के कई खेलों में योगदान देने के बाद अच्छे पदों पर नौकरी कर रहे हैं।
सवाल: हॉकी में क्या बेहतर कर सकते है, ताकि ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी इसमें आगे आएं।
जवाब: मैं यही कहना चाहता हूं कि सरकार की ओर से हरियाणा में ज्यादा से ज्यादा एकेडमी खोली जाए। खिलाड़ियों को जमीनी स्तर पर सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं। यदि किसी खिलाड़ी के पास खेलने के लिए 10 से 15 दिन हॉकी नहीं है तो वह डाउन चला जाएगा। समय पर सभी सुविधाएं मिलेगी तो वह हार्ड वर्क कर पाएगा और देश के लिए पदक जीतेगा।
सवाल: प्रदेश में कुछ ही शहरों में एस्ट्रोटर्फ की सुविधा है। क्या इस कारण खिलाड़ियों को परेशानी आती है।
जवाब: खिलाड़ी पांच से छह साल तक सामान्य मैदान पर अभ्यास करता है और जब वह चैंपियनशिप में खेलने जाता है तो उसे एस्ट्रोटर्फ पर खेलने में परेशानी आएगी। एस्ट्रोटर्फ पर खेलते समय मूवमेंट में बदलाव हो जाता है। खिलाड़ी का अभ्यास शुरू से ही एस्ट्रोटर्फ पर हो तो वह बेहतर अभ्यास कर पाएगा।
सवाल: हरियाणा में हॉकी को लेकर इन्फ्रास्ट्र्र्र्र्र्र्र्क्चर कितना मजबूत है। सुधार की क्या जरूरत है।
जवाब: प्रदेश में पहले के मुकाबले सुविधाएं बढ़ी हैं। साई के हॉस्टल हैं, वहां एस्ट्रोटर्फ से लेकर फिजियोथेरेपिस्ट और जिम की सुविधा मिल रही है। सुविधाएं और बढ़ती है तो खिलाड़ियों के लिए काफी अच्छा रहेगा।
सवाल: सरकार जॉब ऑफर करती है तो क्या स्वीकार करेंगे।
जवाब: अभी मेरी किसी से बातचीत नहीं हुई है। मैं अभी जॉब की तरफ नहीं देख रहा हूं। फिलहाल मेरा खेलने पर ही ध्यान है। यदि आगे कोई जॉब का ऑफर आता है तो इस बारे में जरूर बात करूंगा।
सवाल: आपका आगे का लक्ष्य क्या है।
जवाब: अभी से हार्डवर्क शुरू करेंगे, तभी हम 2028 में कांस्य पदक का रंग बदल पाएंगे।
सवाल: युवा खिलाड़ियों के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे।
जवाब: खिलाड़ी नशे से दूर रहें और हार्ड वर्क करें। अनुशासन में रहकर कोच के निर्देशों का पालन करें। इसके बाद खिलाड़ी को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा।

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