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छोटे बच्चों को अक्सर आसपास के लोग दुलार में अपने साथ ले जाते हैं। या वे खुद भी खेलने या स्कूल के लिए बाहर निकलते हैं। कई बार ऐसा होता है कि उनके साथ कुछ गलत हो रहा होता है और वे समझ नहीं पाते। उन्हें वो फीलिंग गलत लगती है पर इतनी समझ नहीं होती कि क्या करना है। बच्चों को सेक्शुअली अब्यूज करने वाले घर के सदस्य भी हो सकते हैं। ऐसे में उन्हें गुड टच और बैड टच के साथ खराब फीलिंग से वाकिफ कराने की कोशिश भी करें। कोई उनके प्राइवेट पार्ट्स को न टच करे इसके लिए उन्हें स्विमसूट रूल सिखाएं। ध्यान रखें कि लड़कियां ही नहीं बल्कि लड़के ऐसी दुर्घटनाओं के ज्यादा शिकार होते हैं।
बताएं बैड टच की फीलिंग
बच्चे के साथ बचपन में हुई चाइल्ड अब्यूज की घटनाएं उनके अवचेतन मन पर गहरा और बुरा डालती हैं। बेटा हो या बेटी दोनों को सशक्त और जागरूक करना जरूरी है। छोटी उम्र से ही बच्चे को सेक्शुअल एजुकेशन देते चलें ताकि बड़े होने पर कोई अनहोनी घटना हो तो बच्चा आपको खुलकर बता सके। बच्चों से टच पर बात जरूर करें। उन्हें बताएं कि अगर किसी का टच उन्हें बुरा लग रहा है, भले ही वह परिवार का सदस्य हो तो उसे ऐसा न करने दें। बच्चों को बताएं नोचना, जोर से दबाकर गले लगाना या ऐसा कुछ भी जो उन्हें अच्छा न लगे उसके लिए तुरंत न कहें और पेरेंट्स को बताएं।
सिखाएं ये रूल
बच्चों को बताएं कि उनके शरीर के जो हिस्से स्विमसूट या अंडरगारमेंट्स से कवर होते हैं वे प्राइवेट पार्ट्स हैं। इन्हें उनके अलावा किसी को भी छूने नहीं देना चाहिए। अगर कोई ऐसा करे तो उसे मना करे या अपने पेरेंट्स को बताए। गले लगना, किस करना यहां तक कि अगर किसी का हाथ मिलाना भी बच्चे को नहीं पसंद आ रहा है तो उसे न करना सिखाएं।
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न करें जबरदस्ती
आपको शुरुआत खुद से भी करनी होगी। बच्चे को जब भी हग करें, किस करें या टच करें तो उससे इजाजत लें। कोई रिश्तेदार आए तो बच्चे को हग, किस करने पर मजबूर न करें। उन्हें नमस्ते करना या दूसरी तरह से ग्रीट करना सिखाएं जैसे हाई फाइव।
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बच्चे को सेफ फील करवाएं
बच्चा बाहर से आए तो कुछ देर साथ जरूर बैठें और उससे पूछें कि क्या गेम खिला। कौन था साथ में। उसके हाव-भाव पढ़ने की कोशिश करें। उसे सेफ फील करवाते हुए जानकारी लें। अगर वह किसी रिश्तेदार या पड़ोसी से डर रहा है या पसंद नहीं कर रहा तो इसकी वजह भी पता करने की कोशिश करें।

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