Hp News Congress Grass Is Reducing Milk Production Skin Diseases And Asthma Are Increasing In People – Amar Ujala Hindi News Live
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Sat, 24 Aug 2024 06:41 PM IST
हिमाचल प्रदेश में गाजर घास की वजह से पशुओं में दूध उत्पादन कम हो रहा है। वहीं, इस घास को छूने या उखाड़ने से पूरे शरीद में त्वचा रोग और दमा की बीमारी फैल रही है। यदि घास के साथ पशु इसे भी खा ले तो दूध उत्पादन प्रभावित हो रहा है। इस घास को कुछ जगहों में कांग्रेस घास और पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस के नाम से भी जाना जाता है।

गाजर घास
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विस्तार
शिमला जिले के ऊपरी क्षेत्रों में गाजर घास (पार्थेनियम) का ज्यादा फैलना लोगों के लिए समस्या बन गया है। यह घास पशुओं में दूध उत्पादन कम करने का मुख्य कारण बनता जा रहा है। ठियोग, रोहड़ू, कुमारसैन, चौपाल और कोटखाई के गांवों में यह घास लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। इस घास को छूने या उखाड़ने से पूरे शरीद में त्वचा रोग और दमा की बीमारी फैल रही है। यदि घास के साथ पशु इसे भी खा ले तो दूध उत्पादन प्रभावित हो रहा है। इस घास को कुछ जगहों में कांग्रेस घास और पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस के नाम से भी जाना जाता है। 1950 के दशक में पहली बार इसे भारत में देखा गया। इसके बाद से यह एक समस्या बन गई है। गाजर घास अब तक 35 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को प्रभावित कर चुकी है।
गाजर घास ज्यादा बीज उत्पादन और व्यापक फैलाव के लिए जाना जाती है और पारिस्थितिक तंत्र (इकोसिस्टम) को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। साथ ही साथ जैव विविधता को भी कम करती है। यह मनुष्यों और पशुधन दोनों पर गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव डालती है। कृषि विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से रोहड़ू में हाल ही में पार्थेनियम (गाजर घास) खरपतवार के प्रबंधन के लिए जागरुकता सप्ताह का आयोजन किया गया। इसमें दृश्य सहायक सामग्री के माध्यम से स्कूलों के बच्चों और लोगों को पार्थेनियम की पहचान, दुष्परिणाम और नियंत्रण के बारे में बताया गया। इसके बाद विद्यार्थियों और लोगों ने आसपास के रास्तों, खेतों और सड़क किनारे से खरपतवार को निकाला।

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