
संदीप गर्ग की तरफ से चलाई जाने वाली रसोई हुई बंद।
– फोटो : संवाद
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हॉट सीट लाडवा से निर्दलीय प्रत्याशी रहे संदीप गर्ग ने चुनाव हारते ही रसोई भी बंद कर दी है, जिसके साथ वे फिर चर्चा में आ गए हैं। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद वे अब क्षेत्र में सक्रिय भी नहीं दिखाई दे रहे। ऐसे में लोग उनके रसोई चलाने के कदम को स्वार्थ के लिए समाजसेवा बता रहे हैं। उन्हें इस चुनाव में महज 2262 वोट मिले थे।
संदीप गर्ग ने सबसे पहले अप्रैल 2022 में लाडवा में पुराने डाकखाने के पास रसोई शुरू की थी, जिसका शुभारंभ प्रेस करने वाली महिला से करवाया था। दोपहर 12 बजे से लेकर दो बजे तक रसोई में मात्र पांच रुपये में भरपेट खाना दिया जाने लगा था। लाडवा शहर के बाद इसी विधानसभा क्षेत्र के गांव डीग, मथाना, उमरी के अलावा रादौर व शाहाबाद में भी रसोई खोली थी। जहां पर पांच रुपये में ही भरपेट भोजन दिया जाने लगा था। चुनाव परिणाम के अगले दिन तक भी ये रसोई जारी रखी, लेकिन अब इन्हें बंद कर दिया गया है।
लाडवा रसोई में प्रतिदिन करीब 300 लोग खाना खा रहे थे। इस रसोई का शुभारंभ करने के दौरान इसे जारी रखने व जल्द रोटी बनाने के लिए यहां ऑटोमेटिक मशीन लगाए जाने के भी दावे किए गए थे। पहली रसोई के शुभारंभ के दौरान पूर्व विधायक रमेश गुप्ता, भाजपा महामंत्री डॉ. पवन सैनी भी मौजूद रहे थे। लोगों ने संदीप गर्ग के इस कार्य की जमकर सराहना भी की थी।
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में आए थे संदीप गर्ग
संदीप गर्ग पहले कांग्रेस में रहे और उन्होंने वर्ष 2018 में किरण चौधरी की लाडवा में रैली भी करवाई थी। 2019 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिली। इसके बाद गत 25 मई को हुए लोकसभा चुनाव से कुछ माह पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए लाडवा से भाजपा की टिकट मिलने की भी उम्मीद थी और वे कई प्रकार के समाजसेवा के कार्यों में सक्रिय थे। टिकट नहीं मिली तो उन्होंने भाजपा छोड़ निर्दलीय चुनाव लड़ा था। लेकिन इसमें महज 2262 वोट ही मिल पाए।
उधर इस संबंध में संदीप गर्ग से संपर्क करने का प्रयास किया तो कॉल रिसीव नहीं किया।

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