हारमोनियम के काले सफेद बटनों पर रविवार की शाम सचिन जांबेकर की उंगलियां का जादू चला। बेजान से नजर आने वाले इस बाजे से दर्द, कशिश, मौसिकी बह रही थी। धुनों में लफ्जों की तरह मासूमियत थी और शरारत भी।
गायकों धवल चांदवडकर, निधि नारंग, हर्षवर्धन और सनाया दहाले ने भी इस महफिल को अलग मुकाम पर पहुंचाया। इस महफिल का हासिल सनाया का नैना बरसे रिम झीम गीत रहा। बड़े ही अनोखे अंदाज में उन्होंने इसे पेश किया। सचिन ने एक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया, ए दिल मुझे बता दे गीत को हारमोनियम पर बजाया तो हॉल तालियों से गूंज उठा। बॉलीवुड की 100 से अधिक फिल्मों में म्यूजिक देने वाले संगीतकार मदन मोहन के जन्म शताब्दी वर्ष में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इंदौर में संस्था सारेगामा रविवार को मदन मेलोडी’ का आयोजन लाभ मंडपम में किया था।
हारमोनियम पर गले की तरह हरकत, मुर्किया सुनकर श्रोता आश्चर्यचकित थे। उन्होंने यह भी बताया कि जो हारमोनियम वे बजा रहे हैं, वो उन्हें आशा जी ने दिया है।
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इंदौर में आयोजित संगीत समारोह में बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।
– फोटो : अमर उजाला
शाम की शुरुआत विजय गावड़े ने हारमोनियम पर दो पुरानी धुनें बजा कर की। इसके बाद धवल ने फिर वही शाम गीत से समा बांधा। सचिन जांबेकर ने ए दिल मुझे बता दे, वो चुप रहे तो मेरे दिल.. गीत को बजाया और दर्शकों की दाद बटोरी। धवल ने तुम्ही जुल्फ के साए में शाम कर लूंगा गीत को भावपूर्ण तरीके से गाया। हर्षवर्धन और सनाया ने मस्ती भरे अंदाज में जमी से हमें आसमा पर बैठा कर गिरा तो न दोगे गीत को गाया। निधि के लग जा गले से गीत के साथ इस सुरों की शाम ने विदाई ली।
अभिषेक गावड़े की अगुआई में तीन घंटे तक चली महफिल में 25 से ज्यादा गीत सुनने को मिले, जो श्रोताओं के लिए यादगार रहे। संचालन संजय पटेल ने माना। संगीत संयोजन नितेश शेट्टी का था।