शहर के हृदय स्थल, बाबू लाभचंद छजलानी मार्ग पर शनिवार को द डायस्पार्क स्कूल का शुभारंभ हुआ। यह स्कूल न केवल सीबीएसई मानकों के अनुरूप अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा, बल्कि 21वीं सदी की शिक्षा पर विशेष ध्यान देगा। यहां पारंपरिक विषयों के साथ-साथ वर्ष 2050 के जॉब मार्केट की मांगों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक स्किल्स विकसित करने पर जोर दिया जाएगा।
21वीं सदी की शिक्षा पर फोकस
स्कूल की डायरेक्टर सुनीता छजलानी और विनय छजलानी ने बताया कि सीबीएसई मानकों के अनुसार लैब, स्पोर्ट्स एरिया और लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं सभी स्कूलों में होती हैं, लेकिन शिक्षा का प्रभावी प्रसारण ही असली अंतर पैदा करता है। उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य बदलते वैश्विक परिदृश्य में प्रासंगिक शिक्षा प्रदान करना है। प्रत्येक बच्चा अनूठा है, और हमारा करिकुलम उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाइन किया जाएगा। शिक्षा के साथ-साथ सही पैरेंटिंग को भी वे बच्चे के विकास का अभिन्न अंग मानते हैं।
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कार्यक्रम में आए पैरेंट्स और अन्य अतिथि।
– फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
बोर्ड से ज्यादा स्कूल महत्वपूर्ण
शुभारंभ के अवसर पर तीन शिक्षाप्रद वर्कशॉप आयोजित की गईं। पहले सत्र में ‘नेचर नर्चर’ के सह-संस्थापक अक्षल अग्रवाल ने कहा कि बच्चे का स्कूल बोर्ड से ज्यादा महत्वपूर्ण है। 20 वर्षों के शोध के आधार पर उन्होंने बताया कि 4 साल के बच्चे की सीखने की क्षमता 50 साल के व्यक्ति से कहीं अधिक होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 10 साल तक की उम्र सबसे महत्वपूर्ण होती है, फिर भी इस आयु वर्ग पर सबसे कम ध्यान दिया जाता है। द डायस्पार्क स्कूल इस कमी को दूर करते हुए 21वीं सदी की स्किल्स पर केंद्रित करिकुलम प्रदान करेगा।
पैरेंटिंग की अहमियत
दूसरे सत्र में बेंगलुरु के पैरेंटिंग कोच और परामर्श मनोवैज्ञानिक अभिषेक पसारी ने ‘जॉय ऑफ पैरेंटिंग’ पर रोचक विचार रखे। उन्होंने कहा, पैरेंट्स केवल पालक नहीं, बल्कि बच्चों के निर्माता हैं। पसारी ने सवाल उठाया कि क्या पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ-साथ स्वयं भी विकसित हो रहे हैं? उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए प्रेम का अर्थ है समय देना। यदि आप अपने बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करना चाहते हैं, तो सही पैरेंटिंग और अच्छे स्कूल का चयन दोनों आवश्यक हैं। माय शिशु ऐप के सह-संस्थापक पसारी ने इंदौर की सांस्कृतिक विरासत की सराहना करते हुए कहा कि द डायस्पार्क स्कूल इसे और समृद्ध करेगा।
भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी
तीसरे सत्र में आकांक्षा फाउंडेशन, मुंबई की स्कूल हेड वेनिश अली और स्टूडेंट वाइस प्रेसिडेंट यश ने भविष्योन्मुखी शिक्षा मॉडल पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आकांक्षा स्कूल में छात्र स्कूल संचालन में शिक्षकों के समान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन, गर्मी की लहरें, और बेमौसम बारिश जैसी भविष्य की चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने वर्तमान शिक्षा पद्धति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि द डायस्पार्क स्कूल भी आकांक्षा की तरह नवाचार और भविष्य की जरूरतों पर केंद्रित है, जहां जॉब क्रिएटर्स तैयार किए जाएंगे।
आधुनिकता और मूल्यों का संगम
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई। सुनीता छजलानी ने स्वागत भाषण में कहा कि स्कूल आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय मूल्यों को भी बढ़ावा देगा। विनय छजलानी ने आभार व्यक्त किया।
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