फरवरी में थोक मूल्य मुद्रास्फीति मामूली रूप से बढ़कर 2. 38 प्रतिशत हो गई। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सब्जी, तेल और पेय पदार्थ जैसे विनिर्मित खाद्य पदार्थों के महंगे होने के कारण थोक महंगाई बढ़ी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, जनवरी में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2. 31 प्रतिशत थी। फरवरी 2024 में यह 0. 2 प्रतिशत थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, फरवरी, 2025 में मुद्रास्फीति की सकारात्मक दर मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों, खाद्य वस्तुओं, अन्य विनिर्माण, गैर-खाद्य वस्तुओं और वस्त्र निर्माण आदि के मूल्यों में वृद्धि के कारण है।
वनस्पति तेल में 33. 59 प्रतिशत की वृद्धि
आंकड़ों के मुताबिक, विनिर्मित खाद्य उत्पादों में मुद्रास्फीति बढ़कर 11.06 प्रतिशत हो गई, वनस्पति तेल में 33. 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पेय पदार्थों में मामूली वृद्धि हुई और यह महीने के दौरान 1. 66 प्रतिशत हो गई। हालांकि, सब्जियों की कीमतों में नरमी रही और आलू की कीमतें महीने के दौरान 74. 28 प्रतिशत से घटकर 27. 54 प्रतिशत हो गईं। ईंधन और बिजली श्रेणी में फरवरी में 0. 71 प्रतिशत की अपस्फीति देखी गई, जबकि पिछले महीने 2. 78 प्रतिशत की अपस्फीति थी।
खुदरा महंगाई में आई थी गिरावट
बुधवार को जारी खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों से पता चला है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 7 महीने के निचले स्तर 3. 61 प्रतिशत पर आ गई। खाने के सामान के दाम में नरमी से खुदरा महंगाई फरवरी में भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर चार प्रतिशत से नीचे 3.61 प्रतिशत पर आ गई। वहीं दूसरी तरफ, विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में बढ़कर पांच प्रतिशत पर पहुंच गई। मुद्रास्फीति में तेज गिरावट से इस बात की संभावना बढ़ी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नौ अप्रैल को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है।

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