Insistence To Leave Everything For Hockey Kept Olympics Intact, Abhishek Told His Mother – Amar Ujala Hindi News Live

खिलाड़ी अभिषेक नैन
– फोटो : संवाद
विस्तार
सब कुछ छोड़ सकता हूं हॉकी नहीं छोड़ सकता, इसी जुनून ने अभिषेक नैन को आज उनके लक्ष्य ओलंपिक तक पहुंचा दिया है। वह पांचवीं कक्षा में शहर के सीआरजेड विद्यालय के छात्रावास में रहकर हॉकी का अभ्यास करने लगे थे। उन्होंने अपने शुरुआती दौर में राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के मुकाबले में तीन स्टिक तोड़ दी थीं। तब मैदान पर मौजूद दर्शकों की जुबान से निकला था कि यह लड़का जरूर आगे तक जाएगा। अभिषेक देश के लिए सोना लाने के लिए अर्जेंटीना में कड़ा अभ्यास कर रहे हैं।
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अभिषेक नैन बताते हैं कि मैंने बचपन से ही हार न मानने के मंत्र को लेकर ही हॉकी का अभ्यास किया है। 11 साल में जामुन के पेड़ से गिरकर चोट लग गई थी। 10 टांके आए थे तब भी अभ्यास नहीं छोड़ा था। घर वालों के मना करने के बावजूद हॉकी खेलने की जिद पर अड़ा रहा। तब प्रशिक्षक शमशेर ने घर वालों को मनाया व दोबारा हॉकी शुरू करवाई। साल 2016 में जूनियर शिविर में उन्हें शामिल नहीं किया गया था, जिससे विश्व कप खेलने का सपना टूट गया था। तब मन थोड़ा डगमगाया, लेकिन अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर मैं केवल अभ्यास करता रहा। प्रतिदिन सुबह ट्रेन से दिल्ली जाता व अभ्यास कर रात को वापस आता था। उन्होंने बताया कि ओलंपिक में खेलने का बचपन का सपना था। वह अब पूरा होने जा रहा है।
परिस्थितियों से हार न मानने का हौसला
मां सुरत देवी बताती हैं कि अभिषेक हर परिस्थिति में खुद पर विश्वास रखता है। अभिषेक ने कभी अभ्यास से मुंह नहीं मोड़ा। वह हमेशा यहीं सोचता है कि अभी मुझे और सीखना है। अभिषेक को मेरे हाथों का बना चूरमा बेहद पसंद है। अभिषेक को हॉकी के अलावा कुछ दिखता ही नहीं था। वह सुबह अभ्यास के लिए निकलता रात को वापस आता था। परिवार के किसी समारोह में नहीं जाता था। वहीं लोग बोलने लगे थे कि अभिषेक को तो बस हॉकी चाहिए। अभिषेक को हॉकी खेलते काफी चोट लगती थी, जिस कारण से हमने भी काफी बार मना किया, लेकिन अभिषेक ने केवल हॉकी पर ध्यान रखा। बेटे से पूरी उम्मीद है कि देश के लिए पदक जीतकर ही लौटेगा।
भाई बोला पदक जीतने में लगा दूंगा जी जान : आशीष
भाई आशीष नैन बताते हैं कि अभिषेक से जब भी बात होती है वह बेहद सकारात्मक रहता है। कुछ दिन पहले हुई बातचीत में अभिषेक ने बताया कि अभ्यास काफी अच्छा चल रहा है, पदक जीतने में जी जान लगा दूंगा।। ओलंपिक टीम की घोषणा के समय अभिषेक के कंधे में चोट लगी थी, अब बेहतर है। पूरे देश को उम्मीद है कि वह टीम में अहम भूमिका निभाएगा व देश के लिए पदक अवश्य जीतेगा। पिता सत्यनारायण ने बताया कि बेटा पदक जीतकर ही लौटेगा, मुझे पूरा भरोसा है।
टीम में गोल करने की होगी जिम्मेदारी
प्रशिक्षक शमशेर ने बताया कि वह बचपन से ही टीम को साथ लेकर चलता है। हमेशा शांत दिमाग रखता है। अभिषेक खुद पर जिम्मेदारी लेकर खेलता है। टीम अबकी बार काफी शानदार है अभिषेक पर गोल स्कोर करने की जिम्मेदारी रहेगी। अभिषेक ने मुझसे कहा था कि देश को पिछले ओलंपिक में मिले पदक के रंग को बदलने की पूरी कोशिश करूंगा। वह राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक व एशियन खेलों में स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा रह चुका है।

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