International Tiger Day :करण को पसंद है पानी, क्रॉल में जाने से बचती है सीता, आज दोनों ‘देखेंगे’ फिल्म – A Short Film On Tiger Conservation Will Be Screened At Delhi’s Zoo Today.

चिड़ियाघर में बाघ…
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बाघों के कारण चिड़ियाघर की अपनी अलग पहचान है। बाघों के बेहतर संरक्षण का ही नतीजा है कि यहां इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। मौजूदा समय में यहां छह रॉयल बंगाल बाघ और पांच सफेद बाघ हैं। इनकी दहाड़ बाड़े से तीन किलोमीटर दूर से ही लोगों को सुनाई दे जाती है। इन सभी में कुछ न कुछ खास है, जिसमें बंगाल बाघ करण को क्रॉल (जहां खाने-पीने व स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिलती हैं) से निकलते ही पानी में बैठना पसंद है, जबकि बाघिन सीता क्रॉल में जाने से बचती है। इसे खुले में घूमना लुभाता है। इनकी मस्ती देखने के लिए सबसे अधिक दर्शकों की भीड़ इनके बाड़े के बाहर रहती है। यहां बाघों की बढ़ती संख्या से वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह है। चिड़ियाघर में शनिवार को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का आयोजन किया जाएगा। इसमें बाघ संरक्षण पर लघु फिल्म दिखाई जाएगी।
ताकतवर के साथ दिखने में भी खूबसूरत
चिड़ियाघर में मौजूदा समय में छह बंगाल बाघ हैं, जिसमें दो शावक समेत तीन मादा बाघिन अदिति, बरखा, सिद्धि व एक नर बाघ करण है। करण इकलौता नर बाघ है और इसकी भी उम्र भी बढ़ रही है। इसके अलावा यहां सफेद बाघिन सीता, अवनी व नर बाघ टिपू, विजय, वियोम हैं। यह वन्यजीवों में ताकतवर के साथ दिखने में भी खूबसूरत हैं। करण को चिड़ियाघर में कई वर्षों से सबसे सुंदर दिखने वाले बाघ का खिताब भी मिला है। बाघिन वर्ग में सीता को यह खिताब मिला है।
सभी बाघों में करण की दहाड़ सबसे तेज
चिड़ियाघर में आने वाले दर्शकों के बीच बाघ करण लोकप्रिय है। हर कोई इसे एक बार जरूर देखना चाहता है। इसकी खास बात यह है कि इसे क्रॉल से निकलते ही बाड़े में बने तालाब में जाना पसंद है। वह पानी में कई घंटे बिता देता है, जिससे वह पानी में मस्ती भी करता है। ऐसे में लोग इसकी मस्ती करते हुए तस्वीरें भी लेते हैं। आठ वर्षीय करण एक बार में 12 से 14 किलो तक मांस खा जाता है। चिड़ियाघर में सभी बाघों में करण की दहाड़ सबसे तेज है।
सिद्धि और अदिति की दोस्ती है मिसाल
रॉयल बंगाल बाघिन सिद्धि और अदिति की दोस्ती चिड़ियाघर में वन्यजीवों के बीच मिसाल के तौर पर देखी जाती है। सिद्धि और अदिति एक-दूसरे के बिना खाना तक नहीं खाती हैं। दोनों साथ में ही बाड़े और क्रॉल में जाती हैं। चिड़ियाघर प्रशासन के मुताबिक, अगर दोनों में से किसी एक की तबीयत खराब हो जाती है तो दूसरी पूरे दिन बाड़े में मायूस बैठी रहती है। इसके साथ ही दोनों एक साथ खेलती भी हैं। दोनों बहुत शांत स्वभाव की हैं। बाघिन सिद्धि और अदिति को नागपुर से लाया गया था।
शावकों के साथ बाड़े में घूमना पसंद करती है सीता
सफेद बाघिन सीता को अपने दो शावकों अवनी और वियोम के साथ बाड़े में घूमना पसंद है। वह बाड़े में बने तालाब में शावकों के साथ मस्ती करती नजर आती है। सीता को क्रॉल में जाना अच्छा नहीं लगाता है। वह अक्सर क्रॉल से बाहर ही रहती है। नर बाघ की तुलना में इसकी ऊंचाई कम है।
रीवा से जल्द आएगा नर रॉयल बंगाल बाघ
वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। उद्यान में जल्द ही मध्यप्रदेश रीवा से रॉयल बंगाल बाघ लाया जाएगा। इसकी कवायद शुरू हो गई है। एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत इसे लाया जाएगा। कार्यक्रम के जरिये यहां से एक सफेद बाघिन को वहां भेजा जाएगा। इसे जेनेटिक पूल डायवर्स के संतुलन को बनाए रखने के लिए अहम माना जा रहा है। कार्यक्रम को लेकर चिड़ियाघर के अधिकारी ने बताया कि यह विशेष पहल है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो दर्शकों को जल्द ही नर बंगाल बाघ देखने को मिलेगा। चिड़ियाघर में 1963 में मध्यप्रदेश से रीवा से सफेद बाघ राजा और रानी को लाया गया था। इसके बाद 1964 में राजा और रानी का वंश आगे बढ़ा।
चिड़ियाघर में सभी वन्यजीवों को अच्छी तरह से रहने का माहौल मिल सके, इसके लिए लगातार कार्य किया जा रहा है। बाघों के संरक्षण के लिए चिड़ियाघर अहम कदम उठा रहा है, इसका नतीजा है कि यहां बाघों की संख्या बढ़ रही है।
-आकांक्षा महाजन, निदेशक, चिड़ियाघर

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