रेलवे में तत्काल टिकट की बुकिंग या दो महीने बाद की बुकिंग, कन्फर्म टिकट मिलना बहुत ही मुश्किल। आखिर, ऐसे हो क्यों रहा था कि आम आदमी को टिकट नहीं मिल रहा और सभी टिकट बुक भी हो गए। अब इस बड़े फर्जीवाड़े का पता चला है। फर्जी टिकट बुकिंग पर कार्रवाई करते हुए IRCTC ने एक ऐसे ही रैकेट का भंडाफोड़ किया है जो कुछ ही मिनट में फर्जी आईडी से पीएनआर का घोटाला करता था। पिछले 5 महीने में 2.9 लाख पीएनआर का पता चला है यह वह टिकट है जो सामान्य और तत्काल की विंडो खुलने से 5 मिनट पहले ही बुक हुई है।
इसके बाद रेलवे ने 2.5 करोड़ फर्जी यूजर्स की आईडी बंद की है। आपको बता दें कि इन्हीं ID के माध्यम से फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। इन फर्जी ऑडियो के माध्यम से PNR बुक किए जाते थे फिर उन्हें एजेट्स महंगे महंगे दामों में यात्रियों को बेचते थे। अब रेलवे ने ANTI BOT एप्लीकेशन के तहत इस साइबर फ्रॉड पर शिकांजा कसा है।
जनवरी से शुरू की गई कार्रवाई
जानकारी के मुताबिक, रेलवे ने जनवरी और मई के बीच टिकट बुकिंग के लिए 2.5 करोड़ संदिग्ध यूजर आईडी को निष्क्रिय कर दिया और एक विशेष अभियान के तहत 20 लाख यूजर आईडी को पुनर्सत्यापन के लिए रखा है। वहीं, राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर कुल 134 शिकायतें दर्ज की गई हैं और 6,800 से अधिक डिस्पोजल ईमेल डोमेन को ब्लॉक किया गया है। इस अभियान को और तेज किया जाएगा। डिस्पोज़ेबल ईमेल एड्रेसिंग एक ऐसे दृष्टिकोण को संदर्भित करता है जिसमें प्रत्येक संपर्क या इकाई के लिए एक अद्वितीय ईमेल पता का उपयोग करना या इसे सीमित संख्या में उपयोग के लिए उपयोग करना शामिल है। धोखेबाज टिकट बुक करने और बेखबर यात्रियों से अधिक पैसे वसूलने के लिए इन हथकंडों का सहारा ले रहे हैं।
रिपोर्ट: अनामिका गौड़

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