
अनाजमंडी में रखा ई-टॉयलेट। संवाद
– फोटो : संवाद
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अंबाला। 12 लाख के दो ई-टाॅयलेट गायब हो गए हैं, इसकी जानकारी नगर परिषद के किसी भी अधिकारी को नहीं है और न ही ये ई-टॉयलेट नगर परिषद में हैं। यह जानकारी आरटीआई के माध्यम से मिली है कि छावनी में चार जगह लगाए ई-टायलेट में से अब दो ही अलग-अलग बाजारों में नजर आ रहे हैं।
लगभग तीन साल पहले इन ई-टॉयलेट को अंबाला छावनी के अलग-अलग बाजारों में लगाया गया था, जिससे कि लोगों को सुविधा मिले। यह ई-टॉयलेट हलवाई बाजार, टिंबर मार्केट, अनाजमंडी और महेशनगर में लगाए थे लेकिन रखरखाव के अभाव में ये ई-टॉयलेट खराब हो गए। कुछ समय के लिए तो इनका इस्तेमाल किया और फिर यह भी बदतर हालात में पहुंच गए।
इसके बाद इन्हें टिंबर मार्केट और महेशनगर से हटा दिया गया, लेकिन यहां से हटाने के बाद ये कहां गए, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। जबकि अनाज मंडी और हलवाई बाजार के चौक पर जो ई-टॉयलेट लगे हुए हैं, उनकी मशीनरी भी खराब हो चुकी है और यह अब मात्र एक स्टील का डिब्बा बनकर रह गए हैं।
महंगे दामों पर खरीदने का आरोप
इनेलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह के संज्ञान में जब मामला आया तो उन्होंने आरटीआई कानून का प्रयोग किया। जहां से पता चला कि लगभग 24 लाख रुपये की लागत से अंबाला छावनी के अलग-अलग बाजारों में ई-टॉयलेट लगाए गए थे। एक ई-टॉयलेट की कीमत पांच लाख 85 हजार 278 रुपये अदा की गई थी। इतने महंगे ई-टॉयलेट खरीदने पर भी लोगों ने सवाल खड़े किए हैं कि किसके कहने पर यह ई-टाॅयलेट खरीदे गए थे और इन्हें स्थापित करने से पहले सफाई कर्मचारियों को इसे दुरुस्त रखने का प्रशिक्षण क्यों नहीं दिया गया।ओंकार सिंह का कहना है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और नियमानुसार आरोपी पर कार्रवाई होनी चाहिए। मगर अभी तक नगर परिषद के अधिकारी मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।
घोटाले की तरफ इशारा : ओंकार
इनेलो के प्रवक्ता ओंकार सिंह ने बताया कि लाखों रुपये के गबन की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मिली थी कि अंबाला छावनी में चार जगह लगभग 24 लाख की लागत से ई-टॉयलेट लगाए गए थे। अब इनमें से दो ही अनाजमंडी और हलवाई बाजार में नजर आते हैं जोकि अब मात्र स्टील का डिब्बा बनकर रह गए हैं। इतने महंगे ई-टॉयलेट किसके कहने पर खरीदे गए और दो टॉयलेट कहां गायब हो गए, इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
अधिकारी के अनुसार
यह मामला इंजीनियरिंग विभाग से संबंधित है। उन्होंने ही ये ई-टॉयलेट खरीदे थे और उन पर ही इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी थी। उन्होंने कभी भी यह ई-टॉयलेट सेनेटरी विभाग को नहीं सौंपे।
विनोद बैनीवाल, मुख्य सफाई निरीक्षक, नप सदर।
यह मामला मेरे आने से पहले का है। यह किसने खरीदे थे और किससे खरीदे थे। फाइल देखने के बाद ही जानकारी दे सकता हूं। दो ई-टॉयलेट के गायब होने का मामला भी मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा है तो जांच करवाकर जो भी उचित कार्यवाही बनेगी, वो की जाएगी। -मंदीप सिंह, कार्यकारी अभियंता, नप सदर।

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