Kargil Vijay Diwas 2024 Even After 25 Years Bravery Fills With Enthusiasm Dehradun Bhimraj Participated In War – Amar Ujala Hindi News Live

नागा रेजिमेंट में नायक के पद से सेवानिवृत्त भीम राज
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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कारगिल युद्ध भारतीय सेना की अद्भुत शौर्य गाथा को दर्शाता है। इस युद्ध में सैकड़ों वीर योद्धाओं ने अपना बलिदान देकर राष्ट्र की एकता एवं अखंडता को बरकरार रखा। साथ ही वीर सैनिकों ने दुश्मनों को धूल चटाने का भी काम किया। ऐसे ही कारगिल युद्ध में बहादुरी का परचम लहराने वाले दून निवासी भीम राज थापा कहते हैं कि आज भी 25 साल बाद कारगिल की शौर्यगाथा जोश से भर देती है।
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आज देश भर में कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में देश के वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ उनके अदम्य साहस को याद कर देशवासी गौरवान्वित महसूस करेंगे।
ऐसे ही दून के मोहब्बेवाला निवासी भीम राज अपनी कहानियां सुनाते हुए जोश से भर जाते हैं। नागा रेजिमेंट में नायक के पद से सेवानिवृत्त भीम बताते हैं साल 1999 के जून में वह अपनी बटालियन के साथ जम्मू से होते हुए मुश्कोह घाटी पहुंचे और युद्ध का मोर्चा संभाला।
बताया, करीब 11 हजार फीट ऊंची इस घाटी में करीब एक महीने से अधिक समय तक कारगिल युद्ध चला। इस दौरान कई साथी जवान जख्मी भी हुए तो कई देश की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति दे चुके थे। बावजूद इसके भारतीय सेना ने हार नहीं मानी और दुश्मनों का जमकर सामना किया। नतीजन भारतीय सेना ने कारगिल में विजय हासिल की।
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महीने भर तक न नींद आई न ही खाना खाया गया
पूर्व सैनिक भीम राज थापा की पत्नी अनिता थापा बताती हैं कि जब उनके पति जून में युद्ध के लिए रवाना हुए तो उसके बाद उनसे संपर्क नहीं हो सका। ऐसे में करीब एक महीने से भी ज्यादा समय तक न नींद आई और न ही खाना खाया गया। इतना ही नहीं युद्ध पर विजय पाने के बाद भी करीब दस दिन के लंबे इंतजार के बाद पति की सलामति की सूचना मिला।

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