Kedarnath Vidhansabha By-election: Memories Of 1982 Parliamentary By-election Revived – Rudraprayag News

केदारनाथ उपचुनाव
– फोटो : अमर उजाला
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केदारनाथ विस उपचुनाव ने वर्ष 1982 में गढ़वाल लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की यादें ताजा कर दी हैं। 42 वर्ष पूर्व लोस उप चुनाव पर देश की नजर थी, आज वहीं स्थिति केदारनाथ विस की है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है और दिल्ली तक इसकी गूंज हो रही है।
वर्ष 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में गढ़वाल सीट से हेमवती नंदन बहुगुणा विजयी हुए थे। तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वह गढ़वाल के विकास को प्राथमिकता देंगी, पर ऐसा नहीं हुआ। बहुगुणा ने कई पत्र भी लिखे पर कुछ नहीं हुआ, जिससे आहत होकर उन्होंने लोकसभा की सदस्यता और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह 1982 में गढ़वाल संसदीय सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें बहुगुणा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। यह उपचुनाव, कई मायनों में आज भी याद किया जाता है।
कांग्रेस और बहुगुणा के बीच सीधा मुकाबला था। बहुगुणा का एक ही नारा था कि पहाड़ मुझे हारने नहीं देगा। केंद्र सरकार ने तब, अपने सारे संसाधन इस चुनाव में झोंक दिए थे। खास बात यह है कि इस चुनाव में तब युवा नेता के तौर पर भरत सिंह चौधरी (भाजपा नेता व रुद्रप्रयाग विधायक) बहुगुणा के खास हुआ करते थे। गांव-गांव प्रचार का जिम्मा उन्होंने ले रखा था। उपचुनाव में हेमवती नंदन बहुगुणा ने कांग्रेस के प्रत्याशी चंद्र सिंह नेगी को हराया था।
आज, ठीक 42 वर्ष बाद केदारनाथ विस उपचुनाव से एचएन बहुगुणा और भरत सिंह चौधरी का सीधा संबंध है। बहुगुणा के पौत्र सौरभ बहुगुणा बतौर जिला प्रभारी मंत्री के तौर पर प्रचार में उतरे हैं। वहीं, रुद्रप्रयाग के विधायक भरत सिंह चौधरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ विस का संयोजक बनाया है। इन दिनों दोनों नेता भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल के लिए गांव-गांव वोट मांग रहे हैं।
भाजपा नेता देवेश नौटियाल का कहना है कि केदारनाथ विस उपचुनाव सिर्फ चुनाव नहीं है, बल्कि इसके साथ सनातन धर्म की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। ऐसे में विस के हर व्यक्ति की प्रतिष्ठा भी इससे जुड़ गई है। कहा, जैसे पहाड़ ने 1982 में एचएन बहुगुणा को बंपर वोट से जिताया था, उसी तरह इस बार भी कांग्रेस बुरी तरह हारेगी।I

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