know what is sleep date helps to lower the risk of heart attack क्या होती है स्लीप डेट? हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए लोग इस तरह करते हैं पूरी अपनी नींद, हेल्थ टिप्स
आजादी इतनी बड़ी नियामत है कि जब छिन जाती है तो इसका मोल पता चलता है। अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद तालिबान लगातार स्त्री विरोधी नियम-कानून ला रहा है। कुछ समय पहले बारह साल से अधिक उम्र की लड़कियों का स्कूल जाना बंद करवा दिया। अब उन्होंने कहा है कि महिलाएं सार्वजनिक स्थलों पर कुछ नहीं कह-बोल पाएंगी। इसके अलावा अकेली महिलाओं के बाहर जाने, पति के अलावा किसी और मर्द के साथ गाड़ी में जाने और तलाक या किसी अन्य मसले पर कोर्ट जाने पर भी पाबंधी लगा दी गई है। तालिबान के अनुसार महिलाओं की आवाज से पुरुषों का ध्यान भटकता है। यही नहीं, महिलाओं के नौकरी करने को ले कर भी कई तरह की पाबंधियां हैं। बड़े पदों पर उन्हें अनफिट करार दिया गया है। ज्यादतियों के विरोध में अफगानी महिलाएं ना आवाज उठा सकती हैं ना लड़ सकती हैं। अपने क्रूर पति से तलाक लेना दूर की बात है। तालिबान शासन से पहले जिन महिलाओं ने तलाक लिया है, उसे भी इस सरकार ने अवैध करार दिया है। इसका मतलब है कि वे औरतें जिन्होंने अपनी मर्जी से तलाक लिया था उन्हें अपने शौहरों के पास लौटना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ तालिबान र्की ंनदा कर रहा है। दूसरे देशों में भी भत्र्सना हो रही है। पर जो महिलाएं, युवतियां और बच्चियां इस जुल्म से गुजर रही हैं, फिलहाल उनकी आजादी, मुक्ति और रिहाई का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा।
फूड एलर्जी की तगड़ी मार
पिछले दस सालों में पूरी दुनिया में, खासकर ब्रिटेन में फूड एलर्जी के मामले दोगुने हो गए हैं। डेली मेल में प्रकाशित खबर के अनुसार इस एलर्जी से बचाव के लिए जितनी दवाएं चाहिए, वे भी उपलब्ध नहीं हैं। हाल ही में एक करोड़ तीस लाख लोगों पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया है कि फूड एलर्जी के ज्यादातर शिकार नर्सरी में पढ़ने वाले बच्चे हैं। अधिकांश बच्चों को दूध, मूंगफली, अंडा और शेल फिश आदि से एलर्जी है। इस अध्ययन से जुड़े बाल चिकित्सा एलर्जी के विशेषज्ञ डॉक्टर पॉल टर्नर कहते हैं, ‘इस नए अध्ययन से बहुत-सी नई बातों का पता चला है। फूड एलर्जी पहले से घातक होने लगी है। पर अच्छी बात है कि इसे रोकने के लिए अब दवाइयां भी उपलब्ध हैं। जरूरी है कि ये दवाइयां आसानी से और हर कहीं उपलब्ध हों।’ यह शोध लेंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
सप्ताहांत उतारते हैं नींद की खुराक
क्या आप रात को आठ घंटे की नींद ले पाते हैं? आपमें से अधिकांश का जवाब नहीं होगा। महिलाओं के लिए तो यह और भी मुश्किल है। घर का पूरा काम करके बिस्तर पर जाना और सुबह बच्चों को स्कूल भेजने के लिए जल्दी उठना, यानी अपनी नींद के साथ समझौता करना। नींद से संबंधित इस नए अध्ययन में कहा गया कि जो लोग सप्ताह के दूसरे दिनों में अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते, वो सप्ताहांत अपनी बची नींद पूरी करने की कोशिश करते हैं। इसे विशेषज्ञों ने ‘स्लीप डेट’ का नाम दिया है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आप अपनी नींद का कोटा इस तरह पूरी करते हैं तो दिल का दौरा पड़ने की संभावना 28 प्रतिशत तक कम हो जाती है। लंदन के यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियॉलोजी कॉन्ग्रेस में हुए इस अध्ययन में पाया गया कि चीन के लोग अपनी बची नींद का कोटा पूरा करने में माहिर हैं। वे नींद के साथ कोई समझौता नहीं करते। इस अध्ययन में शामिल क्लीवलैंड क्लीनिक के रिसर्च के अनुसार अधूरी या कम नींद की वजह से शरीर कमजोर पड़ता है और इसका असर महिलाओं पर ज्यादा दिखाई देता है।

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