जालंधर: पिछले दिनों एलईडी लाइट को लेकर मेयर के साथ पार्षदों की हुई मीटिंग की फाइल फोटोशहर को रोशन करने के लिए लगाई जाने वाली एलईडी लाइटों को लेकर कल फिर से जालंधर नगर निगम के पार्षद जुटेंगे। हाउस की विशेष रुप से बुलाई गई इस बैठक का एजेंडा एलईडी लाइट्स है। साढ़े चार साल बाद निगम के पार्षदों और मेयर को शहर की एलईडी लाइट में घोटाले की बू आई है।पिछली बार नगर निगम के हाउस की बैठक में एलईडी लाइट्स का मुद्दा काफी गर्माया था। बहुत सारे पार्षदों ने शहर में लगी एलईडी लाइट्स को लेकर सवाल उठाए थे। बहुत सारे पार्षदों ने यहां तक कहा था कि उनके इलाकों में तो अभी तक अंधेरा दूर करने के लिए एलईडी लाइट्स पहुंची ही नहीं है। कुछ ने आरोप जड़े थे कि जिन डार्क स्थानों पर एलईडी लाइट्स लगनी चाहिए थी वहां पर लगी ही नहीं है।इसके अलावा कई पार्षदों ने तो एलईडी प्रोजेक्ट पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। उन्होंने हाउस की मीटिंग में पूछ डाला था कि उन्हें बताया जाए कि स्मार्ट सिटी के तहत चल रहा यह प्रोजेक्ट नगर निगम के तहत ही आता है या फिर कोई नगर निगम के पैरेलल अन्य एजेंसी काम कर रही है। इसके पीछे उन्होंने वजह बताई थी कि यदि कहीं पर एलईडी के खराब हो जाने पर नगर निगम के अधिकारियों को शिकायत की जाती है तो आगे से जवाब मिलता है कि यह स्मार्ट सिटी के तहत आता है।रेड क्रास भवन में जब एलईडी का मामला ज्यादा ही गर्मा गया था तो मेयर ने सभी को शांत करते हुए विशेष तौर पर इसी मुद्दे पर अलग से बैठक बुलाने के लिए कहा था। इसके लिए बाकायदा एक एजेंसी तैयार करने के लिए कहा था। इसी के मद्देनदर पिछले दिनों मेयर ने एलईडी लाइट्स को लेकर पार्षदों के साथ बैठक भी की थी।मेयर के साथ पार्षदों की बैठक में एक प्रश्नावली तैयार की गई है। यह प्रश्नावली निगम कमिश्नर को भेज गई है ताकि बीस जून को होने वाली एलईडी प्रोजेक्ट की विशेष बैठक में अधिकारी इस पर पूरी तैयारी के साथ आएं। क्योंकि बैठक में अब अधिकारियों को पार्षदों के सवालों के जवाब देने पड़ेंगे।बैठक में पूछने के लिए यह सवाल हुए हैं तैयार-एलईडी प्रोजेक्ट कितने का था। यानी प्रोजेक्ट के लिए कितना पैसा रखा गया था।-सारे प्रोजेक्ट के रखरखाव का कितना समय तय किया है-निगम के पास ठेकेदार की सेविंग क्या थी-प्रोजेक्ट के लिए कितना एस्टीमेट खर्च पास किया गया था-प्रोजेक्ट पर व्यय के लिए कितनी पूंजी रखी थी औऱ किसी व्यय की गई-प्रोजेक्ट कितने समय में पूरा होना था-प्रोजेक्ट के लिए अनुमानित लागत कितनी रखी गई थी-शहर में कितनी एलईडी लाइटें लगाई गई हैं, उनकी वाटेज क्या है और कहां-कहां पर लगी हैं-कितने वार्डों में लाइटें लग गई हैं और कितनों में लगनी अभी शेष हैं-सीसीएम लगाया है या नहीं। यदि नहीं लगाया गया है तो कब तक लग जाएगा-यदि ठेकेदार कंपनी ने समयबद्ध काम नहीं किया तो उसे क्या जुर्माना लगाया गया-अभी तक कंपनी को कितनी अदायगी हो चुकी है-लाइटों के स्टिकर परफॉर्मा में क्यों नहीं लगाया गयाएलईडी लाइटें लगाने के लिए हुआ था सर्वेशहर में एलईडी लाइटें लगाने से पहले बाकायदा नगर निगम ने एक सर्वे करवाया था। सर्वे में उन स्थावों को चिन्हित किया गया था जो कि डार्क जोन हैं। जहां पर रात को अंधेरा रहता है। इसके अलावा भी मोहल्लों गलियों एलईडी लाइट्स लगनी थी। लेकिन हैरानी की बात है कि जिन स्थानों को सर्वे में चिन्हित किया गया था वहां पर एलईडी लाइटें अभी तक नहीं लगी हैं। इन्हें लेकर पार्षदों ने हाउस की बैठक में घेराबंदी की थी। इसके अलावा बहुत सारी खराब पड़ चुकी एलईडी लाइटों को लेकर भी पार्षदों ने सवाल किए थे कि इन्हें ठीक नहीं किया जा रहा है। पार्षदों ने मेयर से सवाल कर दिया था कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट नगर निगम के अंडर ही है या फिर स्वतंत्र तौर पर चल रहा है। क्योंकि जब वह कोई शिकायत करते हैं तो अधिकारियों का आगे से जवाब होता है कि यह तो स्मार्ट सिटी के तहत आता है। क्या स्मार्ट सिटी के तहत नगर निगम से इतर कोई अलग टीम काम कर रही है। सवालों से घिरे मेयर ने बैठक में शिकायतों की जांच करवाने का आश्वासन दिया था। मेयर ने कहा था कि इस मुद्दे पर अलग से एक विशेष बैठक करेंगे।

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