राजस्थान में वन्यजीवों के बढ़ते खतरे की एक और घटना सामने आई है। इस बार मामला राज्य के सबसे बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट, बालोतरा स्थित रिफाइनरी से जुड़ा है, जहां पिछले 60 घंटे से एक तेंदुआ घूम रहा है। इसकी मौजूदगी से मजदूरों और स्थानीय निवासियों में जबरदस्त दहशत का माहौल है। वन विभाग की टीम तेंदुए को पकड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन अब तक वह उनकी पकड़ से बाहर है।
मंगलवार को रिफाइनरी परिसर में तेंदुए ने एक मजदूर पर हमला कर दिया, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। घटना के तुरंत बाद वन विभाग को सूचित किया गया और विशेषज्ञों की एक टीम मौके पर पहुंची। लेकिन रिफाइनरी का क्षेत्रफल काफी बड़ा होने और वहां बने जटिल संरचनाओं, पाइपलाइनों व झाड़ियों के कारण तेंदुए को पकड़ना आसान नहीं रहा। वन विभाग के 15 सदस्यीय दल, जिसमें दो रेंजर भी शामिल हैं, लगातार उसे ट्रैंकुलाइज (बेहोश) करने और सुरक्षित रूप से पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा भी लगाया गया है, लेकिन वह बार-बार नजरों से ओझल हो जाता है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन और भी मुश्किल हो गया है।
सीसीटीवी में तेंदुए की हलचल कैद
रिफाइनरी के सीसीटीवी कैमरों में बुधवार सुबह करीब 5 बजे तेंदुए को दीवार के पास टहलते हुए देखा गया। वन विभाग की टीम ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह तेजी से झाड़ियों की ओर भाग गया। कुछ समय बाद उसके पगमार्क रिफाइनरी परिसर से बाहर भी देखे गए, जिससे यह आशंका बनी कि वह किसी और इलाके में भी प्रवेश कर सकता है।
ग्रामीणों और मजदूरों को जारी की गई एडवाइजरी
रिफाइनरी में हजारों मजदूर काम कर रहे हैं, और तेंदुए की मौजूदगी से वे बेहद डरे हुए हैं। प्रशासन ने मजदूरों और आसपास के ग्रामीणों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि रात के समय लोग घरों से बाहर न निकलें और अनावश्यक रूप से जंगल या सुनसान इलाकों में जाने से बचें। रिफाइनरी के अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे मजदूरों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और उनकी गतिविधियों को नियंत्रित करें।
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तेंदुए की पकड़ कब तक? वन विभाग का क्या कहना है?
वन विभाग के रेंजर जगदीश विश्नोई ने बताया कि जैसे ही रिफाइनरी में तेंदुए की मौजूदगी की सूचना मिली, विभाग की टीम ने तुरंत बचाव अभियान शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, “हम लगातार उसकी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और उसे पकड़ने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। तेंदुआ बहुत चालाकी से छिप रहा है, क्योंकि रिफाइनरी में पाइपलाइनों और झाड़ियों का जाल फैला हुआ है। इससे उसे भागने और छिपने का पर्याप्त मौका मिल रहा है।” वन विभाग ने ट्रैंकुलाइजर गन (बेहोशी की बंदूक) से तेंदुए को शांत करने की योजना बनाई है, ताकि उसे बिना किसी नुकसान के सुरक्षित तरीके से जंगल में छोड़ा जा सके।
तेंदुए के शहर में घुसने की वजह क्या हो सकती है?
विशेषज्ञों के अनुसार, तेंदुआ संभवतः भोजन की तलाश में भटकते हुए रिफाइनरी तक आ पहुंचा होगा। राजस्थान में जंगलों के आसपास बढ़ते मानव बस्तियों के कारण वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास प्रभावित हुआ है। इसके चलते तेंदुए जैसे जंगली जानवर कभी-कभी शहरों और औद्योगिक इलाकों में घुस जाते हैं।
क्या होगी आगे की रणनीति?
1. वन विभाग और प्रशासन सतर्क- तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग पूरी मुस्तैदी से काम कर रहा है।
2. सीसीटीवी की मदद से निगरानी– उसकी मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा रही है।
3. अतिरिक्त पिंजरे लगाए जाएंगे– ताकि तेंदुए को सुरक्षित रूप से पकड़कर जंगल में छोड़ा जा सके।
4. मजदूरों की सुरक्षा पर फोकस– सभी मजदूरों को सतर्क रहने और ग्रुप में काम करने की सलाह दी गई है।
5. ग्रामीणों के लिए अलर्ट जारी– रिफाइनरी के आसपास के गांवों में रात के समय घर से बाहर न निकलने की चेतावनी दी गई है।
राजस्थान की इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि शहरीकरण और औद्योगीकरण के बढ़ते प्रभाव से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास कैसे प्रभावित हो रहे हैं। यह केवल एक तेंदुए की कहानी नहीं है, बल्कि एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है। प्रशासन और वन विभाग की कोशिश है कि तेंदुए को सुरक्षित रूप से उसके प्राकृतिक आवास में वापस भेजा जाए, ताकि इंसानों और वन्यजीवों के बीच संतुलन बना रहे। फिलहाल, पूरा इलाका सतर्क है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही तेंदुआ पकड़ लिया जाएगा।
