Maa Jagdamba Will Come Riding On A Palanquin In Shardiya Navratri, This Year Ravi Yoga Is Very Auspicious – Madhya Pradesh News

शारदीय नवरात्रि में पालकी पर सवार होकर आएगी मां जगदंबा।
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3 अक्टूबर गुरुवार से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रही हैं। इस बार मां दुर्गा भवानी का प्राकट्य दुर्लभ शुभ संयोग में होने से धर्म ध्वज की तीन गुना समृद्धि का योग बन रहा है। इस दिन हस्त नक्षत्र, ऐंद्र योग, और जयद योग बना रहेगा। इस दिन दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में पूजा करने से व्रती को सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होगी।
ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्णशंकर व्यास ने बताया कि नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से होने पर मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आती हैं। जब नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार को होती है तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। इससे देश-दुनिया को आंशिक महामारी या फिर प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है। वहीं माता रानी का चरणायुध प्रस्थान करने से जीवन में दुख और अशांति बढ़ सकती है। इस साल मां दुर्गा भवानी पालकी पर सवार होकर आएंगी और विदाई चरणायुध (मुर्गे) पर होंगी। देवी पुराण के मुताबिक, पालकी पर सवार होकर आना शुभ माना जाता है। शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा भवानी की पूजा-उपासना करने से जीवन में खुशियां आती हैं और दुख-संताप दूर होते हैं।
शारदीय नवरात्रि के दौरान 5 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग बना रहेगा। इसके बाद 11 और 12 अक्टूबर को भी ये दोनों योग बन रहे हैं। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ योगों में पूजा-अर्चना और खरीदारी करना फलदायी होता है। शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ पितृ पक्ष के समापन के बाद ही शुरू होता है। सर्व पितृ अमावस्या यानी अश्विन अमावस्या के खत्म होने के अगले दिन से शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना के साथ प्रारंभ होती है। नवरात्रि में नौ दिनों तक अखंड ज्योत जलाई जाती है। अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का पहला दिन होता है। उस दिन सुबह में स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद कलश स्थापना की जाती है। मां दुर्गा का आह्वान होता है। फिर व्रत और पूजन आदि करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्णशंकर व्यास ने बताया कि विभिन्न पंचांग के अनुसार इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि तथा नवमी तिथि का क्षय होने पर भी पूरा पक्ष 15 दिनों का होगा और नवरात्र नौ दिनों की होगी। भक्तजन नौ दिन पाठ करेंगे। परंतु 10 अक्टूबर को सप्तमी और अष्टमी की पूजा एक साथ होगी। शास्त्रों के अनुसार सप्तमी और अष्टमी का मेल महाअष्टमी के व्रत को निषेध मानता है। श्रद्धालु इस दिन महागौरी की पूजा करेंगे। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 06:24 से 07:24 कन्या लग्न और दोपहर 11:55 से 12:41 के बीच रहेगा।
मां के नौ रूपों की होती है अराधना
- पहला दिन (3 अक्टूबर): मां शैलपुत्री
- दूसरा दिन (4 अक्टूबर): मां ब्रह्मचारिणी
- तीसरा दिन (5 अक्टूबर): मां चंद्रघंटा
- चौथा दिन (6-7 अक्टूबर): मां कुष्मांडा
- पांचवां दिन (8 अक्टूबर): मां स्कंदमाता
- छठा दिन (9 अक्टूबर): मां कात्यायनी
- सातवां दिन (10 अक्टूबर): मां कालरात्रि
- आठवां दिन (11 अक्टूबर): मां महागौरी
- नवां दिन (11 अक्टूबर): मां सिद्धिदात्री
नवमी का हवन और विजयादशमी 12 अक्टूबर को होगी। अष्टमी और नवमी की पूजा 11 अक्टूबर को होगी, जिसमें अष्टमी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त में और नवमी की पूजा प्रातः 7 बजे के बाद होगी।

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