Magha Nakshatra Lord gives the results of previous births good luck arises in the dasha of Mars मघा नक्षत्र के स्वामी देते हैं पिछले जन्मों का फल, मंगल की दशा में होता है भाग्योदय, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़
मघा दसवां नक्षत्र है, जो राशि चक्र में120 डिग्री से 133 डिग्री 20 मिनट तक फैला हुआ है। मघा नक्षत्र हंसिया, दराती या छड़ी की आकृति को दर्शानेवाले पांच सितारों का समूह है, जो शक्ति, महानता, श्रेष्ठता और धन-वैभव से संबंधित है। माना जाता है कि यह नक्षत्र भूतकाल से जुड़ा होने के कारण हमारे पिछले जन्मों के अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करता है। इस नक्षत्र के स्वामी पितृ हैं, जो अपने वंशजों का मार्गदर्शन और रक्षा करते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेनेवालों की राशि सिंह होती है, जिसका स्वामी सूर्य है। जबकि मघा नक्षत्र का स्वामी केतु है। मघा नक्षत्रवालों पर सूर्य एवं केतु का प्रभाव रहता है, जो नेतृत्व, प्रतिष्ठा, धन-संपदा और सामाजिक मान-सम्मान से संबंध रखते हैं। मघा नक्षत्र में जन्मे लोग उद्यमी, विचारशील और धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। हालांकि मघा नक्षत्रवाले अहंकारी भी होते हैं। यह दूसरों की बात नहीं मानते इसलिए जल्दी ही इनके रिश्तों में कड़वाहट आ जाती है। मघा नक्षत्र के चार चरणों के अलग-अलग फल होते हैं :
प्रथम चरण : इसका स्वामी मंगल है। यहां लग्न स्वामी, नक्षत्र स्वामी और नक्षत्र चरण स्वामी सभी में परम शत्रुता है, इसलिए मघा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा व्यक्ति अल्प पुत्र संततिवाला होता है।
द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी शुक्र है। मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में जन्मा व्यक्ति तेजस्वी पुत्र संततिवाला होता है। लग्नेश सूर्य की दशा उत्तम फल देती है। मंगल की दशा भाग्योदय कारक है। शुक्र की दशा में पराक्रम बढ़ता है।
तृतीय चरण : इसका स्वामी बुध है। इस चरण में जन्मा व्यक्ति प्राय: रोगी होता है। जातक को संक्रामक रोग शीघ्र जकड़ते हैं। लग्नेश सूर्य की दशा उत्तम फल देती है। मंगल की दशा भाग्योदय तथा धन कारक होती है।
चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी सूर्य है। मघा नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मा व्यक्ति अपने क्षेत्र का विद्वान पंडित होता है। लग्नेश सूर्य की दशा उत्तम फल देती है। मंगल की दशा में भाग्योदय होता है।

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