Mahalaxmi Vrat Arghya to moon know how to do Parana Chandravyapini Tithi and moonrise time महालक्ष्मी व्रत पर चंद्रमा को दिया जाता है अर्घ्य, जानें पारण कैसे करें, चंद्रव्यापिनी तिथि पर व्रत है उत्तम, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़
Mahalaxmi Vrat भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी का व्रत किया जाता है। स्कंदपुराण में इस व्रत का वर्णन है। 16 दिन के इस व्रत में मां लक्ष्मी का विधिपूर्वक पूजन किया जाता है। जो व्रत को श्रद्धापूर्वक पूजन करता है, उस पर मां लक्ष्मी की कृपा होती है। महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक चलता है। शाम के समय इनका पूजन करना चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं। इसलिए चंद्र व्यापनी तिथि को व्रत किया जाता है । क्योंकि चंद्रमां को अर्घ्य देने का विधान है। पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 24 सितंबर की दोपहर 12: 39 बजे शुरू हो जाएगी जो बुधवार 25 सितंबर दोपहर 12:11 बजे तक रहेगी। अष्टमी में चंद्रोदय 24 सितंबर मंगलवार रात को है, यह व्रत चंद्रव्यापिनी तिथि को किया जाता है, इसलिए 24 को व्रत कर सकते हैं। हालांकि कुछ महिलाएं ये व्रत 25 सितंबर को भी रख रही हैं।
कैसे करें पूजा
इस व्रत में सबसे पहले माता लक्ष्मी की पूजा में पूजा स्थल पर हल्दी से कमल बनाएं। चौकी बिछाकर लाल कपड़ा रखकर मां लक्ष्मी की गज पर बैठी मूर्ति स्थापित करें। एक साफ स्वच्छ कलश में पानी भरकर पूजा स्थल पर रखें। कलश में पान का पत्ता भी डाल दें और फिर उस पर नारियल रखें। इसके बाद पूजा में श्रीयंत्र रखें। सोने-चांदी के सिक्के और फल-फूल और माता का शृंगार करें। गंगाजल और पंचामृत से माता को स्नान कराएं। इस दिन खीर का भोग अवश्य लगाया जाता है। 16 की संख्या में श्रृंगार का सामान लें। इसके बाद 16 गांठों वाला सूत्र बनाएं, पहले इसकी पूजा करें और पूजा के बाद दाहिनें हाथ में बांधे । 16 चीजों से मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। इसमें 16 कौड़ियां, 16 हल्दी की गांठ भी रखनी चाहिए। 16 दीपक को आरती के बाद अलग-अलग जगह रख सकते हैं। इसके बाद किसी जोड़े को या 16 कन्याओं को भोजन कराएं और दक्षिणा देनी चाहिए।
चंद्रमा को अर्घ्य कैसे देनाा है और पारण
चंद्रमा को कच्चे दूध और अक्षत से अर्घ्य देना और उनकी खीर भी चढ़ाया जाता है। इसके बाद 16 दीपक में से एक दीप उनके सामने भी रखना चाहिए। कुछ लोग इस दिन व्रत का पारण यानी खोल सकते हैं, कुछ लोग अगले दिन खोलते हैं। पारण में चरणामृत से व्रत का पारण करना चाहिए। इस दिन नमक न खाएं और मीठे से व्रत का पारण करें और इस दिन सात्विक भोजन करें। आखिर में माता से क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए और मां को स्थायी तौर पर निवास पर करने की प्रार्थना करनी चाहिए।
चंद्रमा कब उदय होगा: 22:59 रात को
चंद्रमा कब अस्त होगा: 12:55 अगले दिन
चंद्रमा के उदय होने का समय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार सभी के यहां अलग-अलग हो सकता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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