Martyr Kamaljit Singh His Mausoleum In Simble Village Of Pathankot Rakhi Tied For 53 Years Emotional Story – Amar Ujala Hindi News Live

शहीद नायक कमलजीत सिंह की समाधि पर राखी बांधती हुई गांव सिंबल की बहनें।
– फोटो : संवाद
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रक्षा बंधन का पर्व हो और बहन को भाई की याद न आए यह तो हो नहीं सकता। कच्चे धागों की डोर से बंधे भाई बहन के प्यार और इस पावन रिश्ते से बढ़कर कोई अन्य रिश्ता दुनिया में नहीं है। बहन की मांगी हुई दुआएं मुसीबत की घड़ी में भाई की रक्षा करती हैं।
इसी अटूट रिश्ते के बंधन में बंधी एक अभागी बहन जालंधर निवासी अमृतपाल कौर अपने शहीद भाई की स्मृतियां जहन में समेटे हुए भारत-पाक सीमा की जीरो लाइन पर बसे गांव सिंबल की बीएसएफ की पोस्ट पर बनी 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद होने वाले अपने इकलौते भाई रेडियो ऑपरेटर नायक कमलजीत सिंह की समाधि पर पिछले 43 वर्षों से निरंतर राखी बांधती आ रही थी, मगर 8 वर्ष पहले भाई बहन के इस अटूट बंधन का 44वां वर्ष पूरा होने से कुछ दिन पहले अमृतपाल कौर की सांसों की डोर टूट गई। वह दो महीने कैंसर से लड़ते हुए इस दुनिया को छोड़ गई।
शहीद भाई की समाधि पर राखी बांधने की परंपरा को बरकरार रखते हुए उस साल अमृतपाल कौर की चचेरी बहन अमितपाल कौर ने सिंबल पोस्ट पर जाकर अपने चचेरे भाई शहीद कमलजीत सिंह की समाधि पर राखी बांधी थी और पोस्ट पर मौजूद बीएसएफ के जवानों व शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के सदस्यों को उन्होंने यह वचन दिया था कि इस परम्परा को वह आगे बढ़ाएंगी। लेकिन, अफसोस उसके बाद वह दोबारा इस पोस्ट पर राखी बांधने नहीं आई।
अमृतपाल कौर ने परिषद से लिया था वचन
शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने बताया कि मरने से तीन दिन पहले जब वह अपनी परिषद के सदस्यों के साथ जालंधर के एक अस्पताल में शहीद की बहन अमृतपाल कौर का हाल जानने गए तो उसने परिषद के सदस्यों से यह वचन लिया था कि उनके द्वारा पिछले 43 वर्षों से अपने भाई की समाधि पर राखी बांधने की शुरू की गई परंपरा रुकनी नहीं चाहिए, चाहे उनके परिवार का कोई दूसरा सदस्य बेशक यहां न पहुंचे।

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