Mp High Court Two Parallel Advocate Associations In Mp High Court Supreme Court Issued Notice And Sought Reply – Jabalpur News

सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : सोशल मीडिया
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में समानांतर रूप से दो या अधिक बार एसोसिएशन संचालित होने को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत एवं उज्जवल भुयान की खंडपीठ ने मप्र हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (पुरानी संस्था) से पूछा कि किस कानून में यह रोक है कि दो बार एसोसिएशन समानांतर नहीं चल सकते। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता एवं कई जगह एक से अधिक बार एसोसिएशन हैं, तो जबलपुर में क्यों नहीं?
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर के एडवोकेट्स बार एसोसिएशन (नई संस्था) को आवंटित बार रूम एवं हॉल के आवंटन को अनुचित बताते हुए निरस्त किया गया था। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एडवोकेट्स बार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका पर पूर्व में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।
दायर याचिका में कहा गया था कि एडवोकेट्स बार एक रेगुलर प्रैक्टिशनर का अधिवक्ता संघ है एवं मूल बार में अधिकतर नॉन प्रैक्टिशनर व ऐसे अधिवक्ता जुड़े है, जिनका हाईकोर्ट वकालत से कोई सरोकार नहीं है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से तर्क दिया गया कि उच्च न्यायालय में दो बार एसोसिएशन समकक्ष नहीं हो सकते। दो बार एसोसिएशन मुफ्त बिजली, पानी एवं बार रूम की सुविधा नहीं ले सकते। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ अगली सुनवाई 12 नवम्बर को निर्धारित की है। एडवोकेट्स बार एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ पक्ष रखा।
रजिस्ट्रार जनरल ने भी दी चुनौती
मप्र हाईकोर्ट द्वारा एडवोकेट्स बार के आवंटन निरस्त करने सम्बन्धी फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपील पेश की है। अपील में कहा गया कि एडवोकेट्स बार के पक्ष में पूर्व में हुआ आवंटन उचित है। अपील में वर्ष 2007 में घटित न्यायालय परिसर में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ हुई मारपीट की घटना का उल्लेख करते हुए कहा गया कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश द्वारा आवंटन करने में किसी भी तरह की त्रुटि या भूल नहीं की गयी थी, जो की समय की आवश्यकता थी।

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