Mp News: Kerala Governor Mohammad Khan Said – Unity Is The Biggest Ideal Of India. – Amar Ujala Hindi News Live

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान
– फोटो : अमर उजाला
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रविवार को रवींद्र भवन में दत्तोपंत ठेंगड़ी स्मृति राष्ट्रीय व्याख्यानमाला- 2024 के अंतर्गत ‘भारत की विविधता में सांस्कृतिक एकात्मता’ विषय पर मुख्य वक्ता केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषियों ने हजारों वर्षों पहले जो ज्ञान दिया, वह अनमोल है। उन्होंने विविधता में एकता के सूत्र दिए हैं। दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान द्वारा ठेंगड़ी की 104 वीं जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में खान ने कहा कि बड़े पेड़ की जड़ें गहरी होती हैं। ऐसे ही कुछ लोग होते हैं जिनके अंदर समर्पण भाव गहरा होता है। दत्तोपंत ठेंगड़ी भी ऐसा ही एक व्यक्तित्व थे। बौद्धकथा का उल्लेख करते हुए खान ने कहा कि अंतिम समय में गौतम बुद्ध के शिष्य ने उनसे पूछा कि पथ भ्रष्ट न हो, इसके लिए उपाय बताइए। तब उन्होंने कहा कि ‘अप्पा दीपो भव’, मैंने जो बात बताई है उसे भी स्वीकार मत करो, जो बात मेरे लिए सत्य है वह दूसरे के लिए भी सत्य हो, यह जरूरी नहीं है। दरअसल, यह अथर्वेद की ऋचा का सूत्र है। इसे हम अद्वैतवाद या एकात्मता कह सकते हैं। आद्य शंकराचार्य से लेकर स्वामी विवेकानंद तक ने जो दर्शन दिए, उसकी झलक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के भाषणों परिलक्षित होती है और उसी को ठेंगड़ी जी ने विस्तार प्रदान किया, लेकिन किसी ने नहीं कहा कि ये मेरा विचार है। हमारे ऋषियों ने कभी नहीं कहा कि ये सिद्धांत हमारे दिमाग की उपज हैं। उन्होंने कहा कि ये नैसर्गिक है, प्राकृतिक है, दैविक हैं। हमने केवल ढूंढा है।
हमारे यहां आस्था की अभिव्यक्ति में विविधता है
खान ने कहा कि व्यक्ति के लिए समाज चाहिए, समाज को व्यवस्थित रखने के लिए संगठन चाहिए, संगठन के लिए आधार चाहिए और यह आधार सभ्यता और संस्कृति को बढ़ाता है। हमारे यहां आस्था की अभिव्यक्ति में विविधता है। अतः जब आस्था एक है तो हम सबको एक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के बहुत से विकसित देश, जहां साक्षरता प्रतिशत ज्यादा रही, वहां महिलाओं को वोट का अधिकार भारत के आजाद होने के बाद मिला। वहां यह इसलिए था, क्योंकि वे मानते हैं कि महिला और काले लोग में आत्मा नहीं होती, अतः वे मतदान के अधिकारी नहीं हैं।
भारत का सबसे बड़ा आदर्श है–एकात्मता, जो इंसान को इस लायक बनाती है, जो अपने साथ समाज और परम सत्य के साथ शांति स्थापित कर सके।
एकात्मता का आदर्श हैं चार मठ
केरल के राज्यपाल ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने जिन चार मठों को स्थापित किया है, वे इस विचार को स्थापित करते हैं कि आत्मा के रूप में परमात्मा हर देह में निवास करती है। एकात्मता का इससे बड़ा आदर्शों और उदाहरण कोई नहीं हो सकता। हमारी ज्ञान की संस्कृति है। पश्चिम देशों में समानता आज तक नहीं आई लेकिन भारतीय संस्कृति ने समानता का अधिकार दिया, हम उनसे पहले से बेहतर थे। विश्व के कई देशों में भेदभाव है, लेकिन भारतीय संस्कृति में ऐसा नहीं है।
ठेंगड़ी ने समाज को दिशा दी : राजीव कुमार
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि दत्तोपंत जी बहुआयामी व्यक्तित्व थे, उन्होंने विविध संगठनों की स्थापना के साथ समाज को एक नई दिशा भी अपने विचारों से दी। उन्होंने कहा भारतीय सनातन विचार में ही विकास के सारे रास्ते है जिन पर समाज को आगे जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि साम्यवाद और पूंजीवाद की समाप्ति के बाद विकल्पों को खोजना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। विकास का रास्ता प्रकृति को नष्ट करके प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रकृति के साथ रहने और उसे पूजने वाली है, इसके संरक्षण के माध्यम से ही विकास को पा सकते हैं।स्वदेशी के विचार से ही विकसित भारत का स्वप्न पूरा हो सकता है। प्राचीन समय में हम ग्लोबल ट्रेड में सर्वोपरि थे, लेकिन गुलामी के कारण हमारी दुर्दशा हुई, इसलिए विकसित भारत के लिए हमें पुनः उस स्वदेशी के भाव को अपनाना होगा।
चिंतन का केंद्र भारतीय बना दिया
इस मौके पर संस्थान के अध्यक्ष अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि दत्तोपंत जी बहुआयामी व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। सारी विषमताओं के बाद भी अनेक संगठनों को उन्होंने शून्य से शुरू कर ऊंचाइयां और अलग पहचान दी। पहले चिंतन का केंद्र यूरोपीय था उसे उन्होंने भारतीय बना दिया। निदेशक डॉ. मुकेश कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

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