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Mp News: The Mystery Of Death Of 10 Elephants In 72 Hours Is Still Unsolved, Could Tamarind Water Or Buttermil – Amar Ujala Hindi News Live


MP News: The mystery of death of 10 elephants in 72 hours is still unsolved, could tamarind water or buttermil

बांधवगढ़ में दस हाथियों की मौत
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 72 घंटे के अंदर 10 हाथियों की मौत के कारणों की जांच की जा रही है, लेकिन अब भी गुत्थी सुलझ नहीं रही है।  इस बीच  वन विभाग के अधिकारियों को तमिलनाडु के वननाथीपराई फॉरेस्ट रिजर्व में 90 साल पहले हाथियों की मौत से जुड़ी एक रिपोर्ट मिली है। यह रिपोर्ट 22 मई, 1934 को वन्य जीव विशेषज्ञ आरसी मॉरिस द्वारा तैयार की गई थी, जिसमें तब हुई 14 हाथियों की मौत का कारण कोदो का सेवन बताया गया था। इसी कोदो को खाने से अब बांधवगढ़ में हाल ही में हुई हाथियों की मौत की आशंका जताई जा रही है। 

रिपोर्ट के अनुसार कोदो हो सकता है जहरीला

90 साल पुरानी मॉरिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘वरागु’ नाम से मशहूर कोदो पकने के बाद जहरीला हो सकता है, हालांकि, इसका जहरीला होना स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता। उन्होंने रिपोर्ट में लिखा कि इस कोदो के खाने के लिए सुरक्षित होने का अंदाजा आमतौर पर उसे पकाने और थोड़ा स्वाद चखने या पशुओं की स्थिति देखकर लगाया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार इस जहर का इलाज हाथियों को इमली का पानी या छाछ पिलाकर किया जा सकता है। 

तमिलनाडु में हाथियों की मौत पर अध्ययन

रिपोर्ट के अनुसार 17 दिसंबर 1933 को तमिलनाडु के एक गांव में 11 हाथियों को खेतों में और तीन को पास के आरक्षित वन क्षेत्र में बीमार हालत में पाया गया था। कुछ ही घंटों में खेतों में पड़े सभी हाथियों की मौत हो गई थी, जबकि रिजर्व में पड़े तीन हाथियों की हालत नाजुक थी और बाद में उनकी भी मृत्यु हो गई। पेरियाकुलम के एक पशु चिकित्सा सर्जन ने तब दो हाथियों का पोस्टमॉर्टम किया था और उनके आंतरिक अंगों का रासायनिक विश्लेषण किया था। इसमें कोदो के जहर से हाथियों की मौत की पुष्टि हुई। मॉरिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इसी क्षेत्र में पहले भी इस प्रकार की घटना घटित हुई थी, जब हाथियों ने कोदो खा लिया था, जिसे स्थानीय लोग ‘किरुकु वरागु’ कहते हैं।

कोदो के जहरीले होने का पता लगाना कठिन

मॉरिस ने बताया कि कुछ कुछ कोदो में फंगस आ जाता है। यह खाने के बाद जहरीला हो जाता है। इससे उल्टी और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह फंगस विशेष जलवायु और मौसमी परिस्थितियों में ही सक्रिय होता है। मॉरिस की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस प्रकार के फंगस को गोबर के पानी में भिगोकर या लंबे समय तक स्टोर करने से निष्क्रिय किया जा सकता है। 

हाथियों की मौत पर सीबीआई जांच की मांग

रिपोर्ट का हवाला देते हुए वन विभाग के कई अधिकारियों पर हालिया हाथियों की मौत के मामले में देरी से कार्रवाई के आरोप लग रहे हैं। वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की है और आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने समय पर कदम नहीं उठाए, जिससे हाथियों की मौत को रोका नहीं जा सका।

कोदो के सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है

वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने कहा कि 90 साल पुरानी तमिलनाडु की रिपोर्ट मिली है। इसमें कुछ कुछ कोदो में फंगस लग जाता है, जिसको खाने के बाद वह टॉक्सिक हो जाता है। इससे चक्कर आना और उल्टी जैसे समस्या होती है। इस रिपोर्ट को देखकर बांधवगढ़ में हाथियों की मौत की संभावना कोदो खाने से होने की ही लगाई जा रही है। यहां हाथियों के पेट से बड़ी मात्रा में कोदो निकला है। हालांकि, अभी कोदो में फंगस लगा होने की रिपोर्ट लैब से आना बाकी है।



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