Muzaffarpur News: Chandan Kumar Became An Example Of Self-reliance By Defeating Disability – Amar Ujala Hindi News Live

पोल्ट्री फार्म व्यवसायी चंदन कुमार
– फोटो : अमर उजाला
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अगर हौसला हो तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती, ऐसा कहा जाता है। इसी हौसले की मिसाल पेश की है मुजफ्फरपुर के 23 वर्षीय चंदन कुमार उर्फ छोटू ने। उन्होंने शारीरिक दिव्यांगता को पीछे छोड़ते हुए आत्मनिर्भरता की राह चुनी। जन्म से ही दोनों हाथ और पैर से दिव्यांग होने के बावजूद, चंदन ने खुद को एक सफल पोल्ट्री फार्म कारोबारी के रूप में स्थापित किया है। उनकी यह सफलता न केवल उन्हें एक पहचान दिला रही है, बल्कि अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रही है।
दिव्यांगता को हराकर सफलता की ओर बढ़ते कदम
मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड के रामपुर गांव के रहने वाले चंदन कुमार का बचपन से शरीर का एक बड़ा हिस्सा ठीक से काम नहीं करता है। लेकिन उनका हौसला और जज्बा किसी बाधा के सामने नहीं झुका। कुछ करने की चाह और अपनी दिव्यांगता से पार पाने की ललक ने उन्हें एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया जहां लोग अब उन्हें ‘चंदन बाबू’ कहकर सम्मान देते हैं। छह महीने पहले उन्होंने एक छोटे से पोल्ट्री फार्म से शुरुआत की थी। आज यह कारोबार लाखों की कमाई कर रहा है। साथ ही, उनके इस प्रयास से कई लोग रोजगार प्राप्त कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
यूट्यूब से ली प्रेरणा, दिव्यांगता नहीं बनी बाधा
चंदन बताते हैं कि पहले लोग उनका मजाक उड़ाते थे और उन्हें किसी काम का नहीं समझते थे। इससे उनका परिवार भी परेशान रहता था। लेकिन उन्होंने खुद को साबित करने की ठानी और यूट्यूब से पोल्ट्री फार्मिंग के बारे में जानकारी जुटाई। ₹50 हजार के कर्ज से शुरुआत करते हुए उन्होंने इस व्यवसाय को खड़ा किया। शुरुआती मुश्किलों के बावजूद, आज वे न केवल सफल हो चुके हैं बल्कि कर्ज भी चुका दिया है। उनके पोल्ट्री फार्म से लोग न केवल खरीदारी करने आते हैं, बल्कि इस व्यवसाय के बारे में भी जानकारी लेते हैं।
परिवार की आंखों में खुशी के आंसुओं ने ली जगह
चंदन कहते हैं कि पहले उनके माता-पिता उनके भविष्य को लेकर बेहद चिंतित रहते थे। उनकी आंखों में आंसू होते थे, लेकिन अब जब उन्होंने सफलता हासिल कर ली है, तो ये आंसू खुशी के होते हैं। उनके परिवार वाले अब उनके व्यवसाय में सहयोग करते हैं और उनकी सफलता से गर्व महसूस करते हैं।
सरकारी मदद न मिलने पर खुद बने आत्मनिर्भर
चंदन ने बताया कि उन्होंने कई बार सरकारी योजनाओं के तहत मदद पाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें किसी भी योजना का लाभ नहीं मिला। न ट्राई साइकिल मिली, न कोई अन्य सहायता। आखिरकार, उन्होंने हार मानने के बजाय खुद का व्यवसाय शुरू किया और अब उनकी सफलता सभी के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है।

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