Navneet Kothari And Uma Maheshwari Ias: Discussion In Sia Dispute Case, Suresh Tiwari’s Column, Blog News In Hindi – Amar Ujala
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित सीया (राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण) विवाद मामले में अब यह चर्चा जोरों पर है कि कुछ अदृश्य शक्तियां इसमें काम कर रही हैं। जिस तरह कायदे-कानून को ताक में रखकर 237 प्रोजेक्ट को एक साथ डीम्ड परमिशन दी गई, उससे ऐसा माना जा रहा है कि यह सब किसी अदृश्य शक्ति के इशारे पर किया गया है।
जानकारों का मानना है कि कोई भी व्यक्ति और इस मामले में तो नवनीत कोठारी और उमा महेश्वरी आईएएस अधिकारी हैं। वे कायदे कानून और प्रावधानों को ताक में रखकर इस तरह की कार्रवाई कैसे कर गए? यह संकेत इस बात से भी लगता है कि करीब ढाई-तीन महीने के दौरान जब सीया के अध्यक्ष शिवनारायण चौहान ने मुख्य सचिव और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव को एक नहीं, कई पत्र लिखकर इन दोनों अधिकारियों की शिकायत की थी, तब किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। कहा तो यह तक जा रहा है कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तब ही इन दोनों विवादास्पद अफसरों को आनन-फानन में हटाया गया।
सीया विवाद में डीम्ड अनुमति देने वाले आईएएस अधिकारी का नाम चर्चा में क्यों नहीं?
मध्य प्रदेश में पिछले करीब ढाई महीने से चल रहे सीया विवाद में प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी और सीया की तत्कालीन सदस्य सचिव और इप्को की कार्यपालन निदेशक उमा महेश्वरी का ही नाम चर्चा में है। इस पूरे मामले में एक और आईएएस अधिकारी, जिनके पास उमा महेश्वरी के अवकाश के दौरान अस्थाई प्रभार था और जिनके हस्ताक्षर से डीम्ड परमिशन संबंधी आदेश जारी किया गया, उनका नाम कहीं चर्चा में नहीं आया है।
बता दें कि प्रभार में रहने वाले अधिकारी हमेशा रूटीन का ही जरूरी काम करते आए हैं, लेकिन इस मामले में प्रभार वाले अधिकारी ने डीम्ड परमिशन जैसी बड़ी कार्यवाही कर डाली। आश्चर्य है कि इस पूरे मामले में अनुमति देने वाले अधिकारी का नाम कहीं पर भी चर्चा में नहीं आ रहा है, जबकि अनुमति ही इस पूरे विवाद की मुख्य वजह बनी है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि इस पूरे मामले में कोई अदृश्य शक्ति काम कर रही है?
प्रमोटी महिला आईएएस अधिकारियों के साथ हो रहा अन्याय!
प्रशासनिक क्षेत्र के हिसाब से यह वाकई आश्चर्यजनक तथ्य है कि 2010 से लेकर 2015 बैच की प्रमोटी महिला आईएएस अधिकारियों को आज तक कलेक्टर नहीं बनाया गया है। 2010 बैच की अधिकारी सपना निगम कुछ महीनों बाद सुपर टाइम स्केल में पदोन्नत हो जाएंगी यानी इसके बाद वे कलेक्टर नहीं बन पाएंगी और कमिश्नर और सचिव रैंक में चली जाएंगी। हर आईएएस अधिकारी का सपना होता है कलेक्टर बनना लेकिन निगम का यह सपना इस जन्म में पूरा होता नहीं दिखता है। इतना ही नहीं, इसके बाद की बैच की भी कई प्रमोटी आईएएस महिला अधिकारी आज तक कलेक्टर नहीं बन पाई हैं। इनमें 2011 बैच की अधिकारी प्रीति जैन, सरिता बाला ओम प्रजापति और उषा परमार, 2012 बैच की भारती जाटव ओगारे, 2013 बैच की मीनाक्षी सिंह और रूही खान, 2014 बैच की नीतू माथुर, अंजू पवन भदोरिया और जमुना भिड़े और 2015 बैच की राखी सहाय और शीला दाहिमा को आज तक कलेक्टर पद नसीब नहीं हो पाया है।
अगर हम डायरेक्ट यानी सीधी भर्ती वाले (आरआर) की बात करें तो 2015 बैच तक की महिला आईएएस अधिकारियों को कलेक्टर बना दिया गया है। वर्तमान में 2015 बैच की संस्कृति जैन सिवनी और अदिति गर्ग मंदसौर जिले की कलेक्टर हैं। इसके पहले की भी सभी महिला आरआर आईएएस अधिकारियों को कलेक्टर पद हासिल हो चुका है। तो क्या यह मान कर चला जाए कि मध्य प्रदेश सरकार सीधी भर्ती वाली (आरआर) आईएएस महिला अधिकारियों को ही कलेक्टर पद के योग्य मानती है!
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