Navratri Special: Badi Patan Devi Temple is prominent among 51 Shaktipeeths know its importance – Astrology in Hindi
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Navratri Special: गुलजारबाग के पास स्थित श्री बड़ी पटनदेवीजी मंदिर सती के 51 शक्तिपीठों में प्रमुख है। यहां शारदीय नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। देश के कई भागों के लोग यहां माता का आर्शीवाद ग्रहण करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां सती का दाहिना जंघा व वस्त्रत्त् गिरा था। इसी से इस क्षेत्र का नाम पाटलिपुत्र पड़ा।
शक्तिपीठ में अहले सुबह साढ़े पांच बजे घंटा, शंख, मृदंग व करतल ध्वनि के साथ माता की मंगला आरती होती है और इसके बाद भक्तों की भीड़ दर्शन को उमड़ पड़ती है। रात को नौ बजे मईया की विशेष आरती की जाती है। इस शक्तिपीठ में काले पत्थर की बनी महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती की प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा यहां भैरव की प्रतिमा भी है, जिसे व्योमकेश के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर कौलिक मंत्र की सिद्धि के लिए काफी प्रचलित है। मान्यता है कि मंदिर में विराजमान मूर्तियां सतयुग की हैं। अशोक काल में यहां माता का छोटा मंदिर था। मंदिर परिसर में ही योनिकुंड है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें डाली गयी हवन सामाग्री भष्म के रूप में भूगर्भ में चली जाती है। महाअष्टमी की रात विशेष शृंगार भोग के बाद महानिशा पूजा का अनुष्ठान होता है।
मां पटनेश्वरी को प्रतिदिन महाप्रसाद के रूप में दिन में कच्ची व रात में पक्की प्रसाद का भोग लगता है। यहां पशुओं की बलि देने की परंपरा रही है। नवरात्र के अष्टमी व नवमी के दिन यहां अपार भीड़ उमड़ती है।

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