Old Pension Scheme Will Be An Important Issue In Haryana Assembly Election – Amar Ujala Hindi News Live

यूपीएस से नाखुश सरकारी कर्मी।
– फोटो : अमर उजाला
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लोकसभा चुनाव के बाद अब हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) अहम मुद्दा रहेगा। ओपीएस चुनावी समीकरण बनाने और बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
केंद्र सरकार की ओर से पेंशन को लेकर नई योजना यूपीएस (यूनाइटेड पेंशन स्कीम) लाने के बाद यह मामला और गरमा गया है। सरकार जहां यूपीएस के लाभ गिना रही है, वहीं कर्मचारी संगठनों के साथ-साथ विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गए हैं। कर्मचारियों ने इसे सिरे से नकारते हुए कहा है कि उन्हें केवल और केवल ओपीएस चाहिए, कोई नई स्कीम लागू नहीं होने देंगे। वहीं विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए रणनीति तय कर ली है।
भाजपा लोकसभा चुनाव में कर्मचारियों का झटका झेल चुकी है और कर्मचारियों की नाराजगी के चलते उनको पांच सीटें गंवानी पड़ी हैं। इस बार भाजपा पूरी तरह से कर्मचारियों पर नजर गढ़ाए हुए है। कैशलेस मेडिकल सुविधा देने के साथ कर्मचारियों का डीए भी बढ़ा दिया गया है। हालांकि, ओपीएस के मुद्दे पर भाजपा सरकार ने चुप्पी साध रखी है। केंद्र सरकार का मामला बताकर राज्य के नेता इस मुद्दे पर बोलने से बचते रहे हैं।
वहीं, कांग्रेस खुलकर कर्मचारियों के समर्थन में आ गई है। कांग्रेस के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने वादा किया है कि सरकार बनते ही पहली कलम से ओपीएस को बहाल किया जाएगा। इससे पहले हिमाचल में भी इसी मुद्दे पर कांग्रेस की सरकार बनी थी और हिमाचल सरकार ने ओपीएस को बहाल भी कर दिया है। इसलिए कर्मचारी हरियाणा में भी ओपीएस की बहाली के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
कमेटी बनी, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ
न्यू पेंशन स्कीम में संशोधन के लिए हरियाणा सरकार ने 20 फरवरी को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की कर्मचारियों के साथ बैठक तो हुई, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ। कर्मचारियों से सरकार ने इस स्कीम के बारे में डेटा मांगा था, लेकिन कई बार समय मांगने पर भी दोबारा बैठक नहीं हुई। इसके बाद से कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं। कर्मचारी दिल्ली और पंचकूला में दो बड़ी रैलियां करके सरकार को चेता चुके हैं। अब 1 सितंबर को पंचकूला में राज्यस्तरीय विरोध रैली होनी है।

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