Pitru Paksha 2nd Day: On second day whose Shradha should be performed ? Know vidhi of Tarpan and Shradh 2024 Pitru Paksha के दूसरे दिन किसका श्राद्ध करें? जानें परिवार में कौन श्राद्ध कर सकता है, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़
Pitru Paksha 2nd Day Shradh 2024 : पितरों को संतुष्ट करने के लिए पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध किए जाते हैं। इन 15 दिनों में नित्य जल दान व तिथि पर अन्न व वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। आज श्राद्ध का पहला दिन व कल दूसरा दिन रहेगा। द्वितीया श्राद्ध को दूज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पितृपक्ष इस बार 15 दिन तक आश्विन मास की अमावस्या तक चलेंगे। 19 सितंबर, गुरुवार के दिन पितृपक्ष का दूसरा दिन या द्वितीया श्राद्ध तिथि रहेगी। आइए जानते हैं पितृ पक्ष के दूसरे दिन किन पितरों का श्राद्ध करना चाहिए, श्राद्ध विधि व परिवार के कौन से लोग श्राद्ध कर सकते हैं-
Pitru Paksha के दूसरे दिन किसका श्राद्ध करें?
19 सितंबर के दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध करें, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने की द्वितीया तिथि को हुआ हो। पंचांग के अनुसार, इस दिन शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की द्वितीया तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। पिता की तिथि ज्ञात न होने पर पितृ विसर्जन को श्राद्ध करना चाहिए। द्वितीया श्राद्ध को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण, अपराह्न मुहूर्त आदि शुभ मुहूर्त माने गये हैं।
कैसे करें द्वितीया श्राद्ध कर्म: इस दिन घर के मुख्य द्वार पर फूल आदि डालकर पितरों का आह्वान करें। पहले यम के प्रतीक कौआ, कुत्ते और गाय का ग्रास निकालें। पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लें। कुश और काले तिल से तीन बार तर्पण करें। किसी ब्राह्मण को वस्त्र, फल, मिठाई आदि दान दें। जिन्हें ब्राह्मण नहीं मिल सके, वे भोजन आदि मंदिर में बांट सकते हैं।
श्राद्ध कौन कर सकता है: ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया इन दिनों पूर्वजों की रुचि के भोजन, फल, मिष्ठान आदि का दान कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। उनका आशीर्वाद मिलने पर पितृ दोष तक से मुक्ति संभव है। उन्होंने बताया श्राद्ध तीन पीढ़ी तक किये जा सकते हैं और इन्हें करने का अधिकार पुत्र, पौत्र, भतीजे और भांजे को है। इस बार किसी तिथि का क्षय नहीं है। इसलिए सभी सोलह दिन तर्पण-अर्पण किया जा सकता है। उन्होंने बताया इन दिनों में पितृ अपने परिजनों के घर आते हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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