Politics Heats Up In Rohtak, Grover And Batra, Both Ticket Contenders, Meet Cm Nayab Saini In Closed Room – Amar Ujala Hindi News Live

कैनाल रेस्ट हाउस में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर बाहर आते डॉक्टर आदित्य बतरा।
– फोटो : अमर उजाला
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हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर शहर में सियासत चरम पर है। कांग्रेस ही नहीं, भाजपा में भी टिकट को लेकर खींचतान जारी है। रविवार की रात मुख्यमंत्री नायब सैनी कैनाल रेस्ट हाउस में रुके, जहां पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर व डॉक्टर आदित्य बतरा पहुंचे। दोनों ने बंद कमरे में 15 मिनट तक मुख्यमंत्री से मुलाकात की। कमरे से बाहर आए डॉक्टर आदित्य बतरा सीधे एसपी आवास के बाहर धरना दे रहे भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे, जहां पूर्व मंत्री के बेटे हिमांशु ग्रोवर से मिले। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने एकजुटता का पाठ पढ़ाया है।
प्रदेश की सियासी राजधानी रोहतक में चुनावी माहौल गरम है। हलके के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 17 में 14 बार पंजाबी समुदाय से ही विधायक बना है, चाहे व भाजपा हो या कांग्रेस। केवल तीन बार बनिया समुदाय से सेठ श्रीकिशन दास विधायक बने। कांग्रेस की तरफ से जहां 10 लोग टिकट मांग रहे हैं, जबकि भाजपा में करीब आठ दावेदार हैं।
हालांकि कांग्रेस में मौजूदा विधायक भारत भूषण बतरा और भाजपा में पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। भाजपा ने पिछले दिनों पार्टी प्रदेश कार्यालय में रायशुमारी करवाई थी। उसमें पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, पूर्व मेयर मनमोहन गोयल, सीनियर डिप्टी मेयर राजकमल सहगल, पूर्व पार्षद अशोक खुराना व डॉक्टर आदित्य बतरा का नाम सामने आया था। ग्रोवर लगातार चार बार हलके से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें तीन बार हार व एक बार जीत मिली है।
अब पांचवीं बार दावेदारी जता रहे हैं। दूसरी तरफ डॉक्टर आदित्य बतरा का नाम संघ आगे बढ़ा रहा है। बाकी दावेदार अपने दम पर टिकट पाने की जुगत में हैं। रविवार रात 9:35 बजे डॉक्टर आदित्य बतरा मुख्यमंत्री से मिलने अंदर गए और 9:50 बजे बाहर आए। उस समय ग्रोवर भी अंदर थे। एक नेता ने बताया कि दोनों ने बंद कमरे में मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात की।
दावेदार बोले- क्या अब फिर पांच साल इंतजार करूं
कांग्रेस में भी टिकट को लेकर मान-मनौव्वल का दौर चल रहा है। एक दावेदार ने बताया कि उनको 2019 में कहा गया था कि अगली बार आपको मौका जरूर मिलेगा। अब की बार साथ दे दीजिए। तब उसने बात मान ली, लेकिन इस बार फिर वही बात कही जा रही है। क्या अब फिर पांच साल और टिकट का इंतजार करूं।

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